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Saturday 6 September 2025 12:43:16 PM
रुड़की। प्रधानमंत्री कार्यालय, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी केंद्रीय राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ जितेंद्र सिंह ने वर्ष 1847 में स्थापित एशिया के पहले इंजीनियरिंग कॉलेज के रूपमें आईआईटी रुड़की की सराहना की है। डॉ जितेंद्र सिंह आईआईटी रुड़की के दीक्षांत समारोह में बोल रहे थे। आईआईटी बनने से पहले यह संस्थान रुड़की विश्वविद्यालय के नामसे जाना जाता था। उन्होंने दीक्षांत समारोह में कहाकि यह संस्थान अनुसंधान, नवाचार और सामाजिक सहभागिता का एक आदर्श उदाहरण है, हालही में जारी एनआईएफ रेटिंग में भी इसका देश में छठा स्थान है। डॉ जितेंद्र सिंह ने संस्थान से अपने बहुमुखी शैक्षणिक और भौगोलिक स्थिति के लाभ केसाथ आपदा प्रबंधन से लेकर अर्थव्यवस्था तक हिमालयी अध्ययन करने का आग्रह किया। उन्होंने कहाकि पूरे भारत में 1.7 लाख स्टार्टअप हैं, इनमें से आईआईटी रुड़की के लगभग 240 स्टार्टअप हैं, जो देश के स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र में इसके महत्वपूर्ण योगदान का प्रमाण है।
राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि आईआईटी रुड़की के नौ उत्कृष्टता केंद्र, आपदा जोखिम में अग्रणी कार्य, अनुकूलन, स्थिरता और वाइब्रेंट विलेज जैसी पहलों से स्थानीय समुदायों केसाथ गहरा जुड़ाव एक वास्तविक आदर्श बनाता है। उन्होंने कहाकि हिमालय क्षेत्रमें संस्थान का होना न केवल आपदा प्रतिक्रिया, बल्कि आत्मनिभर्रता और विकास केलिए 'शांतिकाल कैलेंडर' के रूपमें भी इसकी भूमिका को महत्वपूर्ण बनाता है। डॉ जितेंद्र सिंह ने आईआईटी रुड़की को विभिन्न मंचों पर मिली मान्यता का उल्लेख करते हुए कहाकि संस्थान को लगातार चौथे वर्ष भारतीय उद्योग परिसंघ से सर्वाधिक नवोन्मेषी संस्थान पुरस्कार केसाथ-साथ एसटीईएम में महिलाओं की उत्कृष्टता केलिए गतिशक्ति अचीवर पुरस्कार भी मिला है। उन्होंने नवीनतम राष्ट्रीय रैंकिंग में छठा स्थान प्राप्त करने पर भी आईआईटी रुड़की को बधाई दी। डॉ जितेंद्र सिंह ने संस्थान को शैक्षणिक और अनुसंधान उत्कृष्टता की ओर ले जानेमें आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रोफेसर कमल किशोर पंत, उप निदेशक प्रोफेसर यूपी सिंह और वरिष्ठ फैकल्टी मेंबर्स के नेतृत्व की प्रशंसा की।
डॉ जितेंद्र सिंह ने भारत के सबसे पुराने इंजीनियरिंग कॉलेज के रूपमें आईआईटी रुड़की की विरासत को याद किया, जो बिना किसी परिवर्तन के आईआईटी में विकसित हो गया, यह दशकों में अर्जित प्रतिष्ठा और विश्वास का एक दुर्लभ उदाहरण है। आईआईटी रुड़की की भूमिका को व्यापक राष्ट्रीय संदर्भ में रखते हुए डॉ जितेंद्र सिंह ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी में सरकार की भविष्य की पहलों पर प्रकाश डाला। उन्होंने वैश्विक स्टार्टअप परिदृश्य में भारत की तेजीसे वृद्धि को रेखांकित किया, जो अब 1.7 लाख पंजीकृत उद्यमों केसाथ तीसरे स्थान पर है और इनमें से लगभग आधे छोटे शहरों और कस्बों से आते हैं। उन्होंने कहाकि यह अवसरों का लोकतंत्रीकरण है और आईआईटी रुड़की जैसे संस्थान इस गति को बढ़ावा दे सकते हैं। उन्होंने जैव प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, परमाणु ऊर्जा और हिमालयी संसाधनों में उभरते अवसरों की चर्चा की और कहाकि अगली औद्योगिक क्रांति जैव प्रौद्योगिकी से प्रेरित होगी। डॉ जितेंद्र सिंह ने संस्थान से आग्रह कियाकि वह सिविल इंजीनियरिंग और आपदा प्रबंधन में अपनी क्षमता को जारी रखते हुए जैव प्रौद्योगिकी और पुनरुत्पादक प्रक्रियाओं जैसे नए क्षेत्रों का अन्वेषण करे। उन्होंने लैवेंडर की खेती में बैंगनी क्रांति और बायो-ई 3 (रोज़गार, पर्यावरण, अर्थव्यवस्था) केतहत नई जैव प्रौद्योगिकी नीतियों और सरकारी पहलों का भी उल्लेख किया, जो ऐसे उदाहरण हैं, जहां शिक्षा और उद्योग एकसाथ मिलकर काम कर सकते हैं।
उद्योग संबंधों और मजबूत सार्वजनिक एवं निजी भागीदारी का आह्वान करते हुए डॉ जितेंद्र सिंह ने आईआईटी रुड़की के स्नातक छात्रों को सरकारी या कॉर्पोरेट नौकरियों पर निर्भरता से आगे बढ़ने और इसके बजाय नवाचार आधारित उद्यमों के संचालक बनने केलिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने छात्रों को याद दिलायाकि टीका विकास, अंतरिक्ष अन्वेषण और वैश्विक नवाचार रैंकिंग में भारत की हालिया उपलब्धियां सरकारी सहायता, निजी पहल और युवा प्रतिभा के मिश्रण से संभव हुई हैं। उन्होंने स्नातकों से कहाकि आप सबसे अच्छे समय में पैदा हुए हैं, आपके प्रारब्ध ने आपको यह विशेषाधिकार दिया है और मुझे विश्वास हैकि आप भारत में मौजूद अवसरों का अधिकतम लाभ उठाएंगे। दीक्षांत समारोह में बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष डॉ बीवीआर मोहन रेड्डी, संकाय सदस्य और स्नातक छात्र उपस्थित थे।