इक्कीसवीं सदी में किसी एक व्यक्ति का शासन लोगों को स्वीकार नहीं हो सकता। अरब देशों के बाद अब बारी है अफ्रीका के उन देशों की जहां के लोगों का शोषण इस युग में भी चरम सीमा पर हो रहा है। इन शासकों को तुरंत लोकतंत्रवाद की घोषणा करना अनिवार्य है, जिससे वे स्वयं को भी राजनीतिक तौर पर सुरक्षित रख सकते हैं और अपने देश को भी। आज भारत...
अमरीका में रह रहे भारतीयों में अब यह बात उठ रही है कि अमरीकी अर्थव्यवस्था में उनके गैर भारतीय मुल्कों से भी ज्यादा उल्लेखनीय योगदान के बावजूद भारतीयों के साथ सबसे ज्यादा नस्लीय भेदभाव और उन पर भद्दी नस्लीय टिप्पणियां बढ़ती जा रही हैं। भारतीय समुदाय को खुलेआम कॉकरोच, बोदा, बिकाऊ और लालची तक कहा जाने लगा है। अमरीका में भारतीयों को कोई चाहे कितना बुरा कहकर चला जाए इसका कोई संज्ञान नहीं...
ह्वाइट हाउस, इस युग में अमरीका की शक्ति और उसके स्थायित्व का चरम प्रतीक है। यहां राष्ट्रपति आते हैं और जाते हैं, ये उस स्थान में रहते हैं जिसे हर अमरीकी को अपना समझने का पूरा अधिकार है। जॉन ऐडम्ज़ ने इस भवन में अपने निवास की दूसरी रात को लिखा था- 'प्रभु से मेरी प्रार्थना है कि यहां आने वाले सभी महानुभावों पर आपका वरदहस्त बना...
संजीव मेहता आज भारत को 63वें स्वतंत्रता दिवस पर तोहफ़े के रूप में भारत की जनता को ईस्ट इंडिया कंपनी पेश करते हैं। ईस्ट इंडिया के क़रीब तीस से चालीस मालिक थे। संजीव मेहता ने एक-एक को ढूंढ कर कंपनी के मालिक़ाना हक़ अपने नाम करवाए। अगले साल संजीव ईस्ट इंडिया कंपनी को भारत लाने की योजना बना रहे हैं। यानि कि चक्र पूरा होगा और...
भारत में सत्ता के कमज़ोर नेतृत्व और देश में राष्ट्रीय एकता अखण्डता जैसे मुद्दों पर भी यहां के राजनीतिक दलों में गहरी मतभिन्नता का आखिर कहीं तो नुकसान होना ही है और वह हो रहा है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में भारत की क्या हैसियत है और शक्तिशाली देश भारत को कितनी तवज्जोह देते हैं यह अमेरिका-चीन की संयुक्त विज्ञप्ति से पता...
चीन की साम्राज्यवादी सोच सुरसा मुख की तरह बढ़ रही है। पड़ोसी देशों में उसकी अनधिकृत घुसपैठ को कमोवेश इसी रूप में देखा जा सकता है। वह जिस तरह नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका और पाकिस्तान की भारत विरोधी सोच को हवा दे रहा है, यह इस बात का द्योतक है कि उसे फाह्यान और ह्वेनसांग के सपनों का गौरवशाली भारत पसंद नहीं है। पड़ोसी देशों...
नेगारा के नेशनल पार्क और सुमात्रा (इंडोनेशिया) के गुनुंग ल्युसर नेशनल पार्क जैसे, दक्षिण पूर्वी एशिया के अनछुए वर्षा वनों की अंधेरी रात का रहस्य व भयानकता इतनी गूढ़ होती है कि उसके समक्ष अदृष्ट और अज्ञात का रहस्य भी फीका पड़ जाता है। फिर भी वन्य जीवन के शौकीनों के लिए इससे बेहतर स्थान और समय कोई दूसरा नहीं हो सकता।...
पाकिस्तान को एक बेचारा पाकिस्तान कहें तो यह अतिश्योक्ति नही होगी। विशेषज्ञों की राय है कि सत्ताधारी वर्ग एवं सरकार की शोषक नीतियों गरीबी, बेरोजगारी, खाद्यान्न संकट, अत्याचार, सामंतवादी व्यवस्था, सैन्य तानाशाही और सबसे बढ़कर आतंकवाद ने पाकिस्तान को एक विफल राष्ट्र के रूप में ख्ाड़ा कर दिया है।...
हालांकि जिन्ना मुसलमानों के अधिकारों और स्वाधीनता का ही प्रतिनिधित्व करते थे लेकिन वह रूढि़वादी कभी नहीं रहे। कुछ लोगों ने इसी रूप में जब उनका अभिनंदन किया तो उन्होंने कहा, ‘मैं तुम्हारा धार्मिक नेता नहीं हूं।’ निस्संदेह हमें जश्न कायद जैसा दूसरा लीडर नहीं मिल सकता।...
पाकिस्तान के लोकतंत्र और उसकी अग्रिम पंक्ति के राजनेताओं का शिकार करके और बचे-खुचों को निर्जीव करके पाकिस्तान की गुप्तचर एजेंसी आइएसआइ स्वात घाटी में एक ताकत बन चुके तालिबान और अलकायदा के साथ जा खड़ी हुई है। यहां अब ऐसी ताकतों ने पांव पसार लिए हैं जो पाकिस्तान को पाषाण युग में धकेलने के लिए आमादा हैं। ...
धरती, आकाश और पाताल प्राकृतिक चमत्कारों और एक से बढ़कर एक संरचना से समृद्घशाली हैं। मानव-जीवन को प्रकृति से यह संपदा न मिलती तो उसकी स्थिति उन प्राणियों से भी बद्तर हो जाती जो रेगिस्तान और बंजर में अपने अस्तित्व को बचाने के लिए चौबीसों घंटे संघर्ष में रहते हैं।...
हज और उमरा के लिए अब वही लोग जा सकेंगे जिनकी हैसियत आलीशान फाइव स्टार होटलों के किराए की शक्ल में लाखों रूपए अदा करने की होगी। इतना ही नहीं हरम के एतराफ में अब दो-पांच और दस रियाल में सर भी नहीं मुड़ाया जा सकेगा, क्योंकि हालात इतने खराब हैं कि उमरा करने के बाद अल्लाह के घर के एतराफ में नाई और चाय की एक दुकान तक नहीं बची।...
आतंकवाद और संगठित अपराध पर चर्चा में इस बार भारत और अफगानिस्तान का पाकिस्तान पर जोरदार हमला जरूर देखने को मिला जिसमें पाकिस्तान अपना बचाव करते हुए अलग-थलग सा नज़र आया। सभी देश आतंकवाद पर अपनी कार्ययोजनाएं तो लेकर आए मगर वे सम्मेलन में ‘फ्लापी’ से बाहर ही नहीं निकलीं।...
यदि पाकिस्तान को दुनिया के बीच में खड़े रहना है तो उसे भी आतंकवाद पर उसी प्रकार गोले बरसाने होंगे जिस प्रकार अमरीका बरसाता आ रहा है जिसे अब पाकिस्तान में एक सैनिक शासक ही कर सकता है। जो अध्याय जनरल मुशर्रफ ने शुरू किया है उस पर चलना पाकिस्तान की मौजूदा सरकार के लिए कठिन भी और मजबूरी भी बन गया है। यहां का लोकतंत्र अब सेना...
नेपाल में ‘बंदूकवादी लोकतंत्र’ लेकर आए माओवादियों को अपनी सरकार के गठन में दिन में तारे नज़र आ गए। माओवादियों के सुप्रीम कमांडर कमल दहल प्रचंड की चीन से दोस्ती और भारत से पंगा, नेपाली जनता और यहां के राजनीतिक दलों में घमासान का मुख्य कारण बन रहा है।...

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