नरेंद्र मोदी सरकार में पंडित जसराज की विरासत और समृद्ध-गृहमंत्री
'भारतीय शास्त्रीय संगीत और भक्ति पद को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया'स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Thursday 28 December 2023 05:30:55 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने पंडित जसराज संगीत समारोह-'पंडित मोतीराम पंडित मणिराम संगीत समारोह' के 50 साल पूरे होने पर स्मारक डाक टिकट जारी किया और कहाकि पंडित जसराज ने 8 दशक से अधिक समय तक भारतीय शास्त्रीय, पुष्टिमार्गीय संगीत और वैष्णव परंपरा के भक्ति पद को दुनियाभर के संगीत प्रेमियों केलिए चिरंजीव बना दिया। उन्होंने कहाकि पंडित जसराज अष्टसखा भजन इतनी भक्ति भावना से गाते थेकि श्रोताओं के सामने भगवान श्रीकृष्ण की छवि जीवंत हो जाती थी। गृहमंत्री ने कहाकि पंडित जसराज ने भारतीय शास्त्रीय संगीत और भक्ति पद को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया और यही कारण हैकि दुनियाभर के लोग उन्हें इतना प्यार करते हैं।
गृहमंत्री अमित शाह ने कहाकि देश, भारतीय शास्त्रीय और भक्ति संगीत को मजबूत करने में पंडित जसराज के योगदान को कभी नहीं भूल सकता। उन्होंने कहाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नेतृत्व में भारत सरकार ने पंडित जसराज की स्मृति में डाक टिकट जारी करके उनकी विरासत को और समृद्ध करने का काम किया है। उन्होंने कहाकि भारत सरकार का यह सम्मान दुनियाभर में पंडित जसराज के प्रशंसकों के दिलों में उनकी यादें ताजा कर देगा। संगीत समारोह की शुरुआत पंडित जसराजजी ने 1972 में अपने पिता संगीत रत्न पंडित मोतीराम और उनके बड़े भाई एवं बादमें उनके गुरु बने संगीत महामहोपाध्याय पंडित मणिराम की स्मृति के प्रति संगीतमय प्रेम व्यक्त करने केलिए की थी, जिनका निधन तब हुआ था, जब पंडित जसराज केवल 4 वर्ष के थे।
पंडित जसराज ने सर्वकालिक महान भारतीय शास्त्रीय गायकों में से एक होने के अलावा हैदराबाद के दर्शकों को युवा संगीतकारों से परिचित कराकर भारत में संस्कृति और संगीत के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान दिया, जो अब अपने आपमें दिग्गज बन गए हैं। अपने जीवनकाल के 47 वर्ष तक हर वर्ष बिना एक भी अंतराल के पंडित जसराज ने इस वार्षिक संगीत समारोह की मेजबानी स्वयं की। यह हैदराबाद का सबसे पुराना संगीत समारोह है और इस विरासत को पंडित जसराज सांस्कृतिक फाउंडेशन ने आगे बढ़ाया है। इस अद्वितीय योगदान केलिए उन्हें सन ऑफ हैदराबाद भी कहा गया है। डाक टिकट जारी करने पर पंडित जसराज की पुत्री दुर्गा जसराज और पंडित मणिराम के पुत्र एवं पंडित मोतीराम के पोते पंडित दिनेश भी उपस्थित थे।