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Tuesday 19 August 2025 05:41:03 PM
नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से आज राष्ट्रपति भवन में भारतीय विदेश सेवा के वर्ष 2024 बैच के प्रशिक्षु अधिकारियों ने मुलाकात की। राष्ट्रपति ने प्रशिक्षु अधिकारियों का स्वागत किया और उनको भारतीय विदेश सेवा में शामिल होने पर शुभकामनाएं और बधाई दी। उन्होंने प्रशिक्षुओं को प्रेरणाप्रद संबोधन दिए। उन्होंने कहाकि विदेश में अपने देश का प्रतिनिधित्व करना बड़ी जिम्मेदारी और बड़े सौभाग्य की बात है, इसलिए उन्हें खुशी हैकि भारतीय राजनयिकों का यह समूह भारत की विविधता का प्रतिनिधित्व करता है और विदेश सेवा में बेहतर होते लैंगिक संतुलन को भी दर्शाता है, यह सेवा और हमारे राष्ट्र केलिए शुभ संकेत है। राष्ट्रपति ने कहाकि गहन प्रशिक्षण अनुभव, रणनीतिक सोच, सांस्कृतिक जागरुकता और प्रभावी संचार के कौशल किसीभी राजनयिक केलिए बेहद ज़रूरी हैं। उन्होंने प्रशिक्षुओं से कहाकि आप भारत के सभ्यतागत ज्ञान मूल्यों शांति, बहुलवाद, अहिंसा और संवाद को साथ लेकर चलें, आप जिसभी संस्कृति से मिलें, उसके विचारों, लोगों और दृष्टिकोणों केप्रति पारदर्शी रहें।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि भारत न केवल विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, बल्कि एक निरंतर उभरती हुई आर्थिक शक्ति भी है। उन्होंने कहाकि राजनयिकों के रूपमें भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी भारत का पहला चेहरा होते हैं, जिन्हें दुनिया उनके शब्दों, कार्यों और मूल्यों में देखती है। राष्ट्रपति ने कहाकि उनके आसपास की दुनिया भू-राजनीतिक बदलावों, डिजिटल क्रांति, जलवायु परिवर्तन और बहुपक्षवाद के संदर्भ में तेज़ीसे बदलाव देख रही है। राष्ट्रपति ने प्रशिक्षु अधिकारियों से कहाकि युवा अधिकारियों के रूपमें उनकी चपलता और अनुकूलनशीलता देश की विदेश नीति की सफलता की कुंजी है। राष्ट्रपति ने कहाकि आपसभी भारतीय विदेश सेवा में 'अमृतकाल' के समय शामिल हुए हैं, एक ऐसा समय जब भारत वैश्विक मंच पर एक अग्रणी शक्ति और प्रभावी खिलाड़ी के रूपमें अपनी भूमिका निभा रहा है। उन्होंने कहाकि वैश्विक उत्तर और दक्षिण केबीच असमानता से उत्पन्न समस्याएं हों, सीमापार आतंकवाद का ख़तरा हो या जलवायु परिवर्तन के निहितार्थ हों, भारत आज विश्व की प्रमुख चुनौतियों के समाधान का एक अनिवार्य हिस्सा है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि प्रशिक्षुओं को 33 मिलियन प्रवासी भारतीय समुदाय केप्रति अपनी ज़िम्मेदारी भी याद रखनी होगी, जो हमारी विकास गाथा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। राष्ट्रपति ने कहाकि वे स्वयं भी अपनी विदेश यात्राओं के दौरान भारतीय समुदायों केसाथ बातचीत में उनके निवास स्थान और मातृभूमि, दोनों केप्रति उनकी ऊर्जा और प्रतिबद्धता से बहुत प्रभावित हैं। द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि दुनिया में उथल-पुथल के दौर से गुज़रते हुए यह बेहद ज़रूरी हैकि आप विदेश में रह रहे अपने नागरिकों की ज़रूरतों को पूरा करें, खासकर संकट के समय में। उन्होंने कहाकि 2015 में ऑपरेशन राहत से लेकर 2025 में ऑपरेशन सिंधु तक हमारे राजनयिकों ने हमारे नागरिकों की सुरक्षा केलिए भारत सरकार की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाया है, चाहे वे कहीं भी हों। राष्ट्रपति ने आग्रह कियाकि आपभी इस गौरवशाली परंपरा को संवेदनशीलता और मानवीय संवेदना केसाथ बनाए रखें। उन्होंने कहाकि हृदय और आत्मा से बने संबंध हमेशा मज़बूत होते हैं, चाहे वह योग हो, आयुर्वेद हो, श्रीअन्न हों या भारत की संगीत, कलात्मक, भाषाई और आध्यात्मिक परंपराएं हों, अधिक रचनात्मक और महत्वाकांक्षी प्रयास इस विशाल विरासत को विदेशों में प्रदर्शित और प्रचारित करें। राष्ट्रपति ने कहाकि भारत के कूटनीतिक प्रयास, घरेलू आवश्यकताओं और 2047 तक विकसित भारत बनने के हमारे उद्देश्य केसाथ निकटता से जुड़े होने चाहिएं। उन्होंने अधिकारियों से आग्रह कियाकि वे स्वयं को न केवल भारत के हितों का संरक्षक समझें, बल्कि उसकी आत्मा का राजदूत भी समझें।