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Thursday 28 August 2025 01:30:48 PM
नई दिल्ली। भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने स्कूली बच्चों की आधार संबंधित अनिवार्य बायोमेट्रिक अपडेट (एमबीयू) की स्थिति यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन प्लस (यूडीआईएसई+) एप्लीकेशन पर उपलब्ध कराने केलिए स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग केसाथ एक समझौता किया है। यह एक ऐसा कदम है, जिससे करोड़ों छात्रों केलिए आधार में एमबीयू की सुविधा उपलब्ध हो सकेगी। पांच वर्ष की आयु के बच्चों और पंद्रह वर्ष की आयु के बच्चों केलिए आधार में एमबीयू का समय पर पूरा होना एक अनिवार्य आवश्यकता है।
आधार में बच्चों के बायोमेट्रिक डेटा की सटीकता और विश्वसनीयता बनाए रखने केलिए यह अत्यंत जरूरी है। लगभग 17 करोड़ आधार संख्याएं ऐसी हैं, जिनके अनिवार्य बायोमेट्रिक्स अपडेट लंबित हैं। आधार बायोमेट्रिक्स अपडेट कराना बच्चे केलिए ज़रूरी है, अन्यथा बादमें विभिन्न सरकारी योजनाओं केतहत लाभ प्राप्त करने, नीट, जी, सीयूईटी जैसी प्रतियोगी और विश्वविद्यालय परीक्षाओं में पंजीकरण केलिए प्रमाणीकरण करते समय उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। यह ध्यान देने योग्य हैकि कईबार छात्र और अभिभावक अंतिम समय में आधार अपडेट कराने की जल्दी में होते हैं, जिससे चिंताएं बढ़ जाती हैं। समय पर बायोमेट्रिक अपडेट करके इस समस्या से बचा जा सकता है। यूआईडीएआई के सीईओ भुवनेश कुमार ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर इस पहल से अवगत कराया है और उनसे लक्षित एमबीयू शिविरों में आधार अपडेट कराने मे सहयोग देने का अनुरोध किया है।
यूआईडीएआई के सीईओ ने पत्र में लिखा हैकि स्कूलों में आधार अपडेट कैंप आयोजित करने से लंबित एमबीयू को पूरा करने में मदद मिल सकती है। प्रश्न थाकि स्कूलों को कैसे पता चलेगाकि किन छात्रों ने बायोमेट्रिक अपडेट नहीं किए हैं, जिसपर यूआईडीएआई और स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की तकनीकी टीमों ने यूडीआईएसई+ एप्लिकेशन समाधान को सफलतापूर्वक लागू करने केलिए मिलकर काम किया है। अब सभी स्कूलों को लंबित एमबीयू की जानकारी मिल सकेगी। गौरतलब हैकि शिक्षा केलिए एकीकृत जिला सूचना प्रणाली प्लस (यूडीआईएसई+) स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के अंतर्गत एक शैक्षिक प्रबंधन सूचना प्रणाली है और यह स्कूली शिक्षा से संबंधित विभिन्न आंकड़े एकत्र करती है। यूआईडीएआई और स्कूली शिक्षा विभाग की संयुक्त पहल से बच्चों के बायोमेट्रिक्स को अपडेट करने में आसानी होने की उम्मीद है।