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Thursday 11 September 2025 05:03:11 PM
मुंबई। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने नारी शक्ति और विकसित भारत के सरकार के विजन का उल्लेखकर आज मुंबई के गेटवे ऑफ इंडिया से विश्व की तीनों प्रथम ऐतिहासिक सेनाओं के महिला जलयात्रा अभियान ‘समुद्र प्रदक्षिणा’ को वर्चुअल झंडी दिखाकर रवाना किया। नई दिल्ली साउथ ब्लॉक से अपने संबोधन में रक्षामंत्री ने इस यात्रा को नारी शक्ति, तीनों सेनाओं की सामूहिक शक्ति, एकता और संयुक्तता, आत्मनिर्भर भारत और उसकी सैन्य कूटनीति एवं वैश्विक विजन का ज्वलंत प्रतीक बताया। दस महिला अधिकारी अगले नौ महीने में स्वदेश निर्मित भारतीय सेना नौकायन पोत (आईएएसवी) त्रिवेणी पर सवार होकर पूर्वी मार्ग पर लगभग 26000 समुद्री मील की यात्रा करेंगी। वे भूमध्य रेखा को दो बार पार करेंगी, तीन महान अंतरीपों-लीउविन, हॉर्न और गुड होप का चक्कर लगाएंगी, सभी प्रमुख महासागरों, दक्षिणी महासागर तथा ड्रेक पैसेज सहित कुछ सबसे खतरनाक जलक्षेत्रों को पार करेंगी। मई 2026 में मुंबई लौटने से पहले यह दल चार अंतरराष्ट्रीय बंदरगाहों का भी दौरा करेगा।
राजनाथ सिंह ने समुद्र प्रदक्षिणा को केवल एक जहाज़ पर की गई यात्रा ही नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक साधना और अनुशासन एवं दृढ़ संकल्प की यात्रा भी बताया है। उन्होंने कहाकि अभियान के दौरान हमारी महिला अधिकारियों को अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन उनके दृढ़ संकल्प की लौ अंधकार को चीरती हुई आगे बढ़ेगी, वे सुरक्षित घर लौटकर विश्व को दिखाएंगी कि भारतीय महिलाओं का पराक्रम किसी भी सीमा से परे है। रक्षामंत्री ने हाल ही में दो भारतीय महिला नौसेना अधिकारियों लेफ्टिनेंट कमांडर दिलना के और लेफ्टिनेंट कमांडर रूपा ए की हाल की असाधारण उपलब्धियों का स्मरण किया, जिन्होंने साहस और समर्पण केसाथ कई चुनौतियों का सामना करते हुए एक अन्य स्वदेशी पोत आईएनएस तारिणी पर सवार होकर सफलतापूर्वक दुनिया की परिक्रमा की। उन्होंने विश्वास व्यक्त कियाकि आईएएसवी त्रिवेणी समुद्री साहसिकता में एक और वैश्विक मानक स्थापित करेगी और भारत की समुद्री यात्रा में एक और स्वर्णिम अध्याय लिखेगी। राजनाथ सिंह ने इस त्रिसेवा अभियान को तीनों सेनाओं के बीच एकजुटता केप्रति सरकार की प्रतिबद्धता का एक उत्कृष्ट उदाहरण बताया। उन्होंने कहाकि जब सशस्त्र बलों केबीच एकजुटता की भावना होती है तो बड़ी से बड़ी चुनौती भी छोटी लगती है।
राजनाथ सिंह ने फ्रेमेंटल (ऑस्ट्रेलिया), लिटलटन (न्यूज़ीलैंड), पोर्ट स्टेनली (कनाडा) और केप टाउन (दक्षिण अफ्रीका) के पड़ावपत्तनों केबारे में कहाकि टीम की परस्पर बातचीत विश्व केलिए सशस्त्र बलों की शक्ति के साथ-साथ भारतीय संस्कृति, परंपरा और मूल्यों का परिचय कराएगी। उन्होंने कहाकि आईएएसवी त्रिवेणी न केवल स्थायित्व का बल्कि कूटनीति का भी एक माध्यम है। वर्चुअल फ्लैगऑफ के दौरान साउथ ब्लॉक में रक्षामंत्री केसाथ सीडीएस जनरल अनिल चौहान, थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी, नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी और वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमरप्रीत सिंह उपस्थित थे। गेटवे ऑफ इंडिया पर पश्चिमी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ वाइस एडमिरल कृष्णा स्वामीनाथन और वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। दस सदस्यीय दल में जलयात्रा अभियान की नेता लेफ्टिनेंट कर्नल अनुजा वरुडकर, उपअभियान नेता स्क्वाड्रन लीडर श्रद्धा पी राजू, मेजर करमजीत कौर, मेजर ओमिता दलवी, कैप्टन प्राजक्ता पी निकम, कैप्टन दौली बुटोला, लेफ्टिनेंट कमांडर प्रियंका गुसाईं, विंग कमांडर विभा सिंह, स्क्वाड्रन लीडर अरुवी जयदेव और स्क्वाड्रन लीडर वैशाली भंडारी शामिल हैं।
जल अभियान टीम ने जलयात्रा के लिए तीन साल का कठोर प्रशिक्षण लिया है, जिसकी शुरुआत क्लास बी जहाजों पर छोटे अपतटीय अभियानों से हुई और अक्टूबर 2024 में अधिग्रहित क्लास ए नौका आईएएसवी त्रिवेणी तक पहुंची। उनकी तैयारी में भारत के पश्चिमी समुद्र तट केसाथ उत्तरोत्तर चुनौतीपूर्ण यात्राएं और इस वर्ष की शुरुआत में मुंबई से सेशेल्स और वापसी का एक ऐतिहासिक अंतरराष्ट्रीय अभियान शामिल था, जिसने उनके समुद्री कौशल, स्थायित्व और आत्मनिर्भरता को प्रमाणित किया। यह परिक्रमा विश्व नौकायन गति रिकॉर्ड परिषद के कड़े मानदंडों का पालन करेगी, जिसके तहत सभी देशांतरों और भूमध्य रेखा को पार करना और बिना नहरों या विद्युत परिवहन के केवल पाल के सहारे 21,600 समुद्री मील से अधिक की दूरी तय करना आवश्यक है। सबसे कठिन चरण दिसंबर 2025, फरवरी 2026 के दौरान दक्षिणी महासागर में केप हॉर्न की परिक्रमा का होगी, जहां विशाल लहरों, बर्फीली हवाओं और अप्रत्याशित तूफ़ानों केबीच दक्षिणी महासागर को पार करना नाविक कौशल की अंतिम परीक्षा मानी जाएगी। चालक दल आमतौर पर निगरानी प्रणालियों (जैसे: 4 घंटे चालू/ 4 घंटे बंद) में काम करते हैं, पाल, नौवहन, रखरखाव और खाना पकाने का काम संभालते हैं और नींद की कमी और खराब मौसम का भी सामना करते हैं।
जलयात्रा अभियान के दौरान टीम राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान केसाथ मिलकर वैज्ञानिक अनुसंधान भी करेगी, इसमें सूक्ष्म प्लास्टिक का अध्ययन, समुद्री जीवन का दस्तावेज़ीकरण और समुद्री स्वास्थ्य के बारेमें जागरुकता बढ़ाना शामिल है। गौरतलब हैकि सर रॉबिन नॉक्स-जॉनस्टन (ब्रिटेन) 1969 में बिना रुके एकल परिक्रमा पूरी करने वाले पहले व्यक्ति थे। भारत में कैप्टन दिलीप डोंडे (सेवानिवृत्त) ने पहला एकल परिक्रमा अभियान (2009-10) पूरा किया और कमांडर अभिलाष टॉमी (सेवानिवृत्त) 2012-13 में बिना रुके परिक्रमा करने वाले पहले भारतीय थे। भारतीय नौसेना के आईएनएसवी तारिणी पर की नाविका सागर परिक्रमा (2017-18) और नाविका सागर परिक्रमा-II (2024-25) इससे पहले के सफल परिक्रमा अभियान रहे हैं।