आनंदीबेन पर 'चुनौतियां मुझे पसंद हैं' गुजराती संस्करण विमोचित
'पार्टी को मुकाम तक पहुंचाने में आनंदीबेन पटेल का बड़ा योगदान'स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Monday 8 December 2025 12:45:11 PM
अहमदाबाद/ लखनऊ। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के जीवन पर पुस्तक ‘चुनौतियां मुझे पसंद हैं’ के गुजराती संस्करण का विमोचन किया। अमित शाह ने कहाकि इस पुस्तक में आनंदीबेन के समूचे जीवन कार्यों का सुंदर आलेखन किया गया है। उन्होंने कहाकि यह पुस्तक एक निम्न मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मी बेटी की जीवन यात्रा है, उस दौर में जब बेटियों को पढ़ाने लिखाने केलिए भी संघर्ष करना पड़ता था। उन्होंने कहाकि उस समय से लेकर गुजरात जैसे प्रगतिशील राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री बनने तक, देश की सांसद और तीन राज्यों की राज्यपाल रहने तक और आज उत्तर प्रदेश के राज्यपाल का दायित्व निभाने तक उनकी पूरी यात्रा को बहुत ही जीवंत तरीके से दर्शाया गया है। कार्यक्रम में गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
अमित शाह ने कहाकि आनंदीबेन के जीवन संघर्ष और संघर्ष के बीच मिली प्रेरणा को इस पुस्तक में खूबसूरती से समाहित किया गया है और अगर एक वाक्य में इस जीवनयात्रा का सार कहना हो तो यही कहेंगे कि नेतृत्व पद और पोजिशन केलिए नहीं होता, बल्कि नेतृत्व उद्देश्य केलिए, पर्पस केलिए होता है। अमित शाह ने कहाकि किसी व्यक्ति का जन्म से मृत्यु तक एक ही सूत्र में बंधे रहना, एक ही ध्येय के पीछे निरंतर चलते रहना अपने आप में बहुत कठिन होता है। उन्होंने कहाकि जब लक्ष्य स्वयं केलिए हो तब भी कठिन है, लेकिन जब वह लक्ष्य समाज केलिए हो तो और भी अधिक कठिन हो जाता है। उन्होंने कहाकि आनंदीबेन ने अपना पूरा जीवन समाज केलिए निर्धारित लक्ष्यों को पूरा करने में समर्पित कर दिया है। गृहमंत्री ने कहाकि उस समय पूरे मेहसाणा जिले में विज्ञान के महज तीन कॉलेज होते थे और इनमें एमएससी की पढ़ाई सिर्फ एक कॉलेज में होती थी, उस समय हॉस्टल में रहकर कोई बेटी विज्ञान में एमएससी करे, यह साहस बेटी में तो होता था पर माता पिता में बहुत कम होता था, यह पुस्तक अनुकरणीय प्रेरणा है।
अमित शाह ने कहाकि उस कॉलेज के हॉस्टल में एकमात्र छात्रा आनंदीबेन ही थीं, बाकी सब छात्र थे। अमित शाह ने कहाकि उस दौर की कल्पना कीजिए, जब समाज की मुख्यधारा के विपरीत जाकर आनंदीबेन ने अपनी पढ़ाई पूरी की। अमित शाह ने कहाकि आनंदीबेन के साथ उन्होंने काफी काम किया है, 2014 में जब भारतीय जनता पार्टी के विस्तार का लक्ष्य तय हुआ, तब हमने 1 लाख 86 हजार बूथों में कमी का पता लगाया, सदस्यता बढ़ाई और आज कश्मीर से कन्याकुमारी, द्वारका से कामाख्या तक भाजपा की पहुंच है, इसका मूल आधार बूथ का काम ही था। जो काम असंभव सा लगता था, वह एक छोटीसी शुरुआत से संभव हुआ। इसका मूल विचार मोदीजी ने उस समय के संगठन पर्व में रखा था, उस संगठन पर्व में आनंदीबेन इंचार्ज थीं, हमने मिलकर उस काम को आगे बढ़ाया। उन्होंने कहाकि उस समय से आज तक बूथ संरचना में कितना परिवर्तन हुआ और पार्टी कहां से कहां पहुंच गई। उन्होंने कहाकि बूथ का डॉक्यूमेंटेशन होना चाहिएकि कौन सा बूथ कमजोर है, उसकी नोटिंग होनी चाहिए, यही विचार पार्टी के विकास का सबसे बड़ा प्रेरणास्रोत बना, बाद में विचारधारा युक्त बूथ, विचारधारा युक्त कार्यकर्ता का संकल्प लेकर 2014 से भाजपा ने अपना सफर और तेज किया।
गृहमंत्री ने कहाकि आनंदीबेन के जीवन में छात्र के रूप में तो संघर्ष था ही, शिक्षिका बनने के बाद समाजसेवा और राजनीति में आनेके बाद भी हर कदम पर संघर्ष आए। उन्होंने कहाकि आनंदीबेन विधायक बनीं, गुजरात में शिक्षा मंत्री, राजस्व मंत्री, मुख्यमंत्री और फिर तीन राज्यों की राज्यपाल बनीं। अमित शाह ने कहाकि मोदीजी ने राज्यपाल संस्था को जीवंत बनाया, टीबी उन्मूलन, ड्रॉपआउट रेशियो कम करना, स्कूलों में 100% एनरोलमेंट, स्वच्छता, प्राकृतिक खेती जैसे अनेक कामों से जोड़ा। अमित शाह ने कहाकि उन सभी विचारों को लागू करने की टीम भी मैंने ही तैयार की थी, लेकिन आनंदीबेन जहां-जहां राज्यपाल रहीं उन्होंने एक शिक्षिका की तरह परफेक्शन और अनुशासन केसाथ उन सारे कामों को उत्कृष्ट रूपसे किया, इसके कारण उन राज्यों के सामाजिक जीवन में गुणात्मक परिवर्तन आया। उत्तर प्रदेश जैसे विशाल राज्य में शिक्षा का स्तर उठाना, सभी यूनिवर्सिटी को नैक रजिस्ट्रेशन करवाना, और सबसे ज्यादा नैक ए+ ग्रेड वाली यूनिवर्सिटी उत्तर प्रदेश में होना यह बहुत बड़ी उपलब्धि है। गृहमंत्री ने कहाकि नर्मदा परियोजना को पूरा करने का काम मोदीजी के प्रधानमंत्री बनने और आनंदीबेन के मुख्यमंत्री रहते हुए हुआ।
अमित शाह ने कहाकि जब आनंदीबेन राजस्व मंत्री थीं, तब भूमि अधिग्रहण का काम इतनी कुशलता से हुआ कि पूरे भारत में किसीभी बड़े प्रोजेक्ट केलिए सबसे कम खर्च में सबसे बड़ी मात्रा में भूमि अधिग्रहण का रिकॉर्ड आज भी नर्मदा प्रोजेक्ट के नाम पर है। उन्होंने कहाकि अनेक विघ्न पार करते हुए, अनुकूल समय में बांध की ऊंचाई पूरी हुई, दरवाजे लगे और पानी न केवल कच्छ, बल्कि राजस्थान तक पहुंचा, इसका मूल श्रेय उस समय की राजस्व मंत्री आनंदीबेन को जाता है। अमित शाह ने कहाकि इस पुस्तक में अनेक प्रकार के मार्मिक प्रसंग हैं, हर प्रसंग में आनंदीबेन की क्षमता, दृढ़ता और अपार स्नेह का परिचय मिलता है। उन्होंने कहाकि आनंदीबेन आज 85 वर्ष की आयु में भी जिस गति और ऊर्जा से उत्तर प्रदेश में काम कर रही हैं, वह हर किसी के लिए बड़ी प्रेरणा है। मुझे विश्वास है कि यह पुस्तक जब लाखों-करोड़ों लोगों तक पहुंचेगी, तो निश्चित रूपसे उनके लिए भी प्रेरणा का स्रोत बनेगी।