स्वतंत्र आवाज़
word map

भूले बिसरे महानायकों पर शिमला में हुई संगोष्ठी

स्वतंत्रता संग्राम में गुमनाम सेनानियों की बहुआयामी भूमिका की चर्चा

युवाओं से गुमनाम नायकों की गाथा से प्रेरणा लेने का आह्वान किया

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 9 December 2025 12:54:07 PM

seminar on forgotten great heroes held in shimla

शिमला। भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान शिमला में ‘भूले-बिसरे महानायक: स्वतंत्रता संग्राम में पंजाब के गुमनाम वीर’ विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी हुई। संगोष्ठी की शुरुआत मुख्य अतिथि प्रोफेसर कुलदीप चंद अग्निहोत्री पूर्व कुलपति केंद्रीय विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश और साहित्य एवं संस्कृत अकादमी हरियाणा के उपाध्यक्ष ने दीप प्रज्ज्वलन करके की। प्रोफेसर कुलदीप चंद अग्निहोत्री ने उद्घाटन भाषण में कहाकि स्वतंत्रता संग्राम के असंख्य गुमनाम सेनानियों की स्मृति को जीवित रखना केवल इतिहास लेखन का उत्तरदायित्व नहीं, बल्कि यह भावी पीढ़ियों केलिए प्रेरणास्रोत भी है। उन्होंने विशेष रूपसे पंजाब में उत्पन्न विविध स्वाधीनता आंदोलनों-क्रांतिकारी, धार्मिक एवं किसान की धाराओं पर प्रकाश डाला।
भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान शिमला के फेलो प्रोफेसर एस राघव ने स्वतंत्रता संग्राम में पंजाब की क्रांतिकारी चेतना के दार्शनिक और आध्यात्मिक आयामों पर प्रकाश डाला। डॉ नितिन व्यास ने ऐसे विमर्शों को ऐतिहासिक न्याय केसाथ-साथ सांस्कृतिक पुनर्निर्माण की आवश्यक बताया। गौरव अत्री ने युवाओं को गुमनाम नायकों की गाथा से प्रेरणा लेने का आह्वान किया। उन्होंने आशा व्यक्त कीकि भावी पीढ़ी अपने इतिहास को जानकर राष्ट्रनिर्माण की दिशा में और तेजीसे अग्रसर हो सकती है। डॉ राजीव कुमार मिश्र पुस्तकालयाध्यक्ष एवं प्रभारी (शैक्षणिक संसाधन) आईआईएएस शिमला ने संगोष्ठी में स्वागत भाषण दिया। संगोष्ठी की थीम का परिचय संयोजिका डॉ प्रियंका वैद्य पूर्व फ़ेलो आईआईएएस और एसोसिएट प्रोफेसर अंग्रेज़ी विभाग हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला ने प्रस्तुत किया।
भूले बिसरे महानायकों पर राष्ट्रीय संगोष्ठी के सह संयोजक डॉ नीरज कुमार सिंह और उप पुस्तकालयाध्यक्ष एसी जोशी पुस्तकालय पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। संगोष्ठी का संचालन संस्थान के जनसंपर्क अधिकारी डॉ अखिलेश पाठक ने किया। यह संगोष्ठी ‘शोध (मानवता के समग्र विकास केलिए छात्र)’ थिंक टैंक के अकादमिक सहयोग से आयोजित की गई थी, जिसका उद्देश्य पंजाब के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान देने वाले गुमनाम सेनानियों की बहुआयामी भूमिका को भी रेखांकित करना था। संगोष्ठी के सत्रों में देशभर के विभिन्न विश्वविद्यालयों के शोधार्थियों और प्राध्यापकों ने अपने-अपने शोधपत्र प्रस्तुत किए।

हिन्दी या अंग्रेजी [भाषा बदलने के लिए प्रेस F12]