वित्तीय नियम जारी और प्रायोजित योजनाएं युक्तिसंगत
केंद्रीय वित्तमंत्री जेटली ने लागू कराए सुधारात्मक कदमस्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Tuesday 16 May 2017 03:22:48 AM
नई दिल्ली। भारत सरकार के वित्त मंत्रालय का व्यय विभाग केंद्र सरकार एवं राज्यों के वित्त से संबंधित मामलों में लोक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली की निगरानी करता आ रहा है। पिछले तीन वर्ष के दौरान विभाग ने कुछ खास और सुधारवादी कदम उठाए हैं। आम वित्तीय नियम 2017 वित्तमंत्री अरुण जेटली ने 7 मार्च 2017 को जारी किए, जिससे कि राजकोषीय प्रबंधन को एक बेहतर, कारगर एवं दक्ष संरचना में सक्षम बनाया जा सके, साथ ही सेवाओं की समयबद्ध आपूर्ति के लिए आवश्यक लचीलापन उपलब्ध कराया जा सके। संबंधित मंत्रालयों के परामर्श से केंद्रीय क्षेत्र एवं केंद्र प्रायोजित योजनाओं दोनों को युक्तिसंगत बनाया गया है। केंद्र क्षेत्र योजनाओं को पहले की लगभग 1500 योजनाओं से घटाकर 300 पर लाया गया एवं केंद्र प्रायोजित योजनाओं की संख्या पहले के 66 से घटाकर 28 पर लाई गई। इसे बजट भाषण 2016-17 के पैरा 113 में रेखांकित किया गया है। इसने वर्तमान संसाधनों के बेहतर आबंटन एवं सरकारी कार्यक्रमों की दक्षता में सुधार लाने को समर्थ बनाया है।
भारत सरकार के वित्त मंत्रालय ने आयोजना एवं गैर आयोजना व्यय के बीच के अंतर को समाप्त कर दिया है और इसके परिणाम स्वरूप गैर आयोजना व्यय की समिति ने गैर आयोजना व्यय के मूल्यांकन को भी समाप्त कर दिया है। संसाधनों के अधिक कारगर एवं पारदर्शी उपयोग के लिए सरकार ने सरकारी कार्यक्रमों के संबंध में डीबीटी यानी प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण आरंभ किया है, जिसमें लोक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली विभिन्न सामाजिक क्षेत्र योजनाओं में प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण भुगतान को सुगम बना रही है। फरवरी 2017 तक मनरेगा, एनएचएम एवं खाद्य सब्सिडी आदि जैसी सरकार की विभिन्न योजनाओं में पीएफएमएस का उपयोग करते हुए 1,02,786.77 करोड़ रुपए की राशि का भुगतान किया गया है। सभी योजनाओं एवं परियोजनाओं के पास अब एक आउटकम संरचना है, जिसका निर्माण कार्यांवयनकारी मंत्रालयों, विभागों, नीति आयोग एवं व्यय विभाग के परामर्श के जरिए किया गया है।
बजट दस्तावेजों के एक हिस्से के रूप में संसद में एक समेकित आउटकम बजट 2017-18 प्रस्तुत किया गया। प्रत्येक योजना के पास अब वित्त आयोग चक्र के साथ आरंभ एवं समाप्त होने वाली एक स्टार्ट एवं सनसेट को-टर्मिनेस है। सावधिक फीडबैक सुनिश्चित करने के लिए मूल्यांकन एवं मंजूरी संरचना में तृतीय पक्ष मूल्यांकन भी औपचारिक रूप से निर्मित किया गया है। परिणामों एवं संवर्धित विकास प्रदर्शन पर और अधिक सतत फोकस किया गया है। राज्यों की महत्वपूर्ण विकास आवश्यकताओं, अतिरिक्त उत्तरदायित्वों एवं सामाजिक-आर्थिक कारकों आदि पर विचार करते हुए 2016-17 के लिए संशोधित अनुमान चरण में आम बजट में 11 हजार करोड़ रुपए की विशेष सहायता का प्रावधान किया गया था। केंद्र सरकार ने 2015-16 के दौरान राज्यों को कुल 10890 करोड़ रुपए की विशेष सहायता उपलब्ध कराई थी। वर्ष 2016-17 के लिए 429353 करोड़ रुपए की राज्यों की शुद्ध उधारी अधिकतम सीमा निर्धारित की गई है, जिससे कि संबंधित राज्य जीएसडीपी के तीन प्रतिशत का राजकोषीय घाटा लक्ष्य अर्जित करने में सहायता प्रदान की जा सके जैसा कि 14वें वित्त आयोग ने इसकी अवार्ड अवधि (2015-20) के लिए अनुशंसा की है।
चौदहवें वित्त आयोग की अनुशंसा के अनुरूप 6 अप्रैल 2016 को केंद्र सरकार ने 2016-17 से 2019-20 की अवधि के लिए राज्यों को अतिरिक्त राजकोषीय घाटे के लिए वर्ष दर वर्ष के लचीलेपन को मंजूरी दी है। यह किसी भी वर्ष राज्यों के तीन प्रतिशत की सामान्य सीमा से अधिकतम 0.5 प्रतिशतअधिक है और यह इससे पिछले वर्ष ऋण-जीएसडीपी अनुपात को 25 प्रतिशत के भीतर तथा ब्याज भुगतान-राजस्व प्राप्ति अनुपात को दस प्रतिशत के भीतर बरकरार रखे जाने का विषय है। बहरहाल अतिरिक्त राजकोषीय घाटे का लाभ उठाने में लचीलापन राज्यों को उपलब्ध रहेगा, अगर वर्ष के दौरान, जब उधारी सीमाएं निर्धारित की जानी हैं तथा उससे ठीक पिछले वर्ष के दौरान कोई राजस्व घाटा नहीं रहा है। स्वच्छ भारत कोष सितम्बर 2014 से कंपनियों से लगभग 471.25 करोड़ रुपए तथा आम जनता से 27 लाख रुपए की स्वैच्छिक योगदान के रूप में प्राप्ति की गई है। सरकारी विद्यालयों में 2,46,307 शौचालयों के पुर्नरुद्धार के लिए 427.84 करोड़ रुपए के बराबर की परियोजनाओं को मंजूरी दी गई।
सातवें केंद्रीय वेतन आयोग ने 19 नवम्बर 2015 को केंद्र सरकार के कर्मचारियों की परिलब्धियों, भत्तों, सेवा, शर्तों एवं सेवानिवृति लाभों की सरंचना पर अपनी रिपोर्ट सौंप दी। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 29 जून 2016 को आयोजित बैठक में वेतन, पेंशन एवं संबंधित मुद्दों पर सातवें सीपीसी की अनुशंसाओं के कार्यांवयन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। आपदा राहत वर्ष 2014-15, 2015-16 एवं 2016-17 (27 फरवरी 2017 तक) के दौरान प्रभावित राज्यों को एनडीआरएफ से क्रमश: 3460.88 करोड़ रुपए, 12451.96 करोड़ रुपए एवं 8390.87 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई गई, जिससे कि सूखे, ओलावृष्टि, बाढ़, भूकंप एवं तूफान आदि जैसी प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित लोगों के लिए तत्काल राहत कार्यों का प्रबंधन किया जा सके। जम्मू-कश्मीर पैकेज के लिए प्रधानमंत्री की 80068 करोड़ रुपए की पुर्नसंरचना योजना 2015 की घोषणा राज्य के विकास के लिए की गई। बाढ़ से प्रभावित, ध्वस्त मकानों के लिए 2015-16 के दौरान 1194.85 करोड़ रुपए की विशेष सहायता उपलब्ध कराई गई थी।
जम्मू एवं कश्मीर पैकेज के तहत वर्ष 2016-17 के दौरान (जनवरी 2017 तक) ध्वस्त अवसंरचना की स्थाई बहाली के लिए 1093.34 करोड़ रुपए तथा व्यापारियों और स्वरोज़गार से जुड़े लोगों की आजीविका की बहाली, व्यवसाय प्रतिष्ठान के लिए सहायता पर ब्याज छूट के लिए 800 करोड़ रुपए की सहायता उपलब्ध कराई गई। त्वरित निर्णय निर्माण प्रक्रिया सुगम बनाने के लिए सार्वजनिक रूपसे वित्त पोषित योजनाओं एवं परियोजनाओं के शक्तियों के विनियोजन को कार्यों के आकलन तथा स्वीकृति के लिए 5 अगस्त 2016 को कई प्रकार से बढ़ा दिया गया है, आकलन में जैसे वित्तीय सलाहकार के सम्मिलन के साथ 25 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 100 करोड़ रुपए, प्रशासनिक मंत्रालय, विभाग के सचिव के अध्यक्षता में व्यय वित्त समिति ईएफसी द्वारा 100 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 500 करोड़ रुपए और मंजूरी के अंतर्गत सचिव के स्तर पर 25 करोड़ से बढ़ाकर 100 करोड़ रुपए, प्रभारी मंत्री के स्तर पर 150 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 500 करोड़ रुपए, प्रभारी मंत्री एवं वित्तमंत्री के स्तर पर 300 करोड़ रुपए से बढ़ाकर हजार करोड़ रुपए।
व्यय सचिव की अध्यक्षता में स्थापना व्यय पर समिति के एक नए तंत्र की शुरूआत की गई है, जिससे कि नए निकायों के सृजन का मूल्यांकन किया जा सके। गैर कर प्राप्ति पोर्टल लांच करना प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कर प्राप्तियों के अतिरिक्त सरकारी राजस्व की तीव्र प्राप्ति के लिए एनटीआरपी का केंद्रीय वित्तमंत्री ने उद्घाटन किया था, जिससे नागरिकों, कंपनियों एवं अन्य उपयोगकर्ताओं को भारत सरकार को अदा किए जाने वाले गैर कर राजस्व का ऑनलाइन भुगतान करने के लिए एक वन स्टाप विंडो उपलब्ध कराया जा सके। वित्त मंत्रालय का केंद्रीय पेंशन लेखा कार्यालय केंद्रीय नागरिक पेंशनधारियों को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 3 मई 2017 को वेतन एवं पेंशन लाभों पर सातवें सीपीसी अनुशंसाओं में संशोधन को मंजूरी दे दी है।