स्वतंत्र आवाज़
word map

भारत का समुद्री क्षेत्र नई ऊंचाइयां छुएगा-पीएम

तिरुवनंतपुरम का बहुउद्देशीय बंदरगाह राष्ट्र को समर्पित किया गया

'कोच्चि में जहाज निर्माण और मरम्मत क्लस्टर की स्थापना हो रही है'

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 2 May 2025 06:15:04 PM

thiruvananthapuram multi-purpose port dedicated to the nation

तिरुवनंतपुरम। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8800 करोड़ रुपये से केरल के तिरुवनंतपुरम शहर में बना विझिंजम अंतर्राष्ट्रीय डीपवाटर बहुउद्देशीय बंदरगाह आज राष्ट्र को समर्पित किया और कहाकि भारत का समुद्री क्षेत्र नई ऊंचाइयों को छुएगा। आदि शंकराचार्य की जयंती पर उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहाकि केरल से निकलकर आदि शंकराचार्य ने देश के विभिन्न भागों में मठों की स्थापना करके राष्ट्र की चेतना को जगाया और उनके प्रयासों ने एकीकृत और आध्यात्मिक रूपसे प्रबुद्ध भारत की नींव रखी। उन्होंने उल्लेख कियाकि तीन वर्ष पहले के सितंबर में उन्हें आदि शंकराचार्य के पवित्र जन्मस्थान आने का सौभाग्य मिला था, आदि शंकराचार्य की भव्य प्रतिमा उनके संसदीय क्षेत्र काशी में विश्वनाथ धाम परिसर में भी स्थापित की गई है, जोकि आदि शंकराचार्य के विशाल आध्यात्मिक ज्ञान और शिक्षाओं केप्रति सम्मान है। प्रधानमंत्री ने कहाकि उन्हें उत्तराखंड के पवित्र केदारनाथ धाम में भी आदि शंकराचार्य की दिव्य प्रतिमा के अनावरण का सम्मान मिला है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि तिरुवनंतपुरम में एक तरफ अपार संभावनाओं से भरपूर विशाल समुद्र है तो दूसरी तरफ प्रकृति की मनमोहक सुंदरता इसकी भव्यता में चार चांद लगा रही है और इन सबके बीच विझिंजम डीप-वाटर सी पोर्ट अब नए युग के विकास का प्रतीक बन गया है। उन्होंने इस उल्लेखनीय उपलब्धि के लिए केरल और पूरे देश के लोगों को बधाई दी। प्रधानमंत्री ने कहाकि विझिंजम डीप-वाटर सी पोर्ट की आने वाले वर्षों में ट्रांसशिपमेंट हब की क्षमता तीन गुनी हो जाएगी, जिससे दुनिया के कुछ सबसे बड़े मालवाहक जहाजों का यहां आसानी से आगमन हो सकेगा। उन्होंने बतायाकि भारत के 75 प्रतिशत ट्रांसशिपमेंट संचालन पहले विदेशी बंदरगाहों पर किए जाते थे, जिससे देश को राजस्व का बड़ा नुकसान होता था, अब यह स्थिति बदल रही है, भारत का पैसा अब भारत की सेवा करने में लग रहा है और जो धनराशि कभी देश से बाहर जाती थी, वह अब केरल और विझिंजम के लोगों के लिए नए आर्थिक अवसर पैदा कर रही है। नरेंद्र मोदी ने टिप्पणी कीकि औपनिवेशिक शासन से पहले ही भारत ने सदियों की समृद्धि देखी है, जब भारत वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में एक बड़ी हिस्सेदारी रखता था, उस युग में भारत को अन्य देशों से अलग करने वाली बात इसकी समुद्री क्षमता और इसके बंदरगाह शहरों की मजबूत आर्थिक गतिविधियां थीं, केरल ने इस समुद्री शक्ति और आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समुद्री व्यापार में केरल की ऐतिहासिक भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहाकि अरब सागर के जरिए भारत ने कई देशों के साथ व्यापारिक संबंध बनाए रखे हैं। उन्होंने कहाकि केरल से जहाज विभिन्न देशों में माल ले जाते थे, जिससे यह वैश्विक वाणिज्य केलिए एक महत्वपूर्ण केंद्र बन गया। नरेंद्र मोदी ने कहाकि आज भारत सरकार आर्थिक शक्ति के इस चैनल को और मजबूत करने केलिए प्रतिबद्ध है, भारत के तटीय राज्य और बंदरगाह शहर विकसित भारत के विकास के प्रमुख केंद्र बन रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि आजजब आर्थिक बुनियादी ढांचे के विकास और व्यापार को एकसाथ बढ़ावा दिया जाता है, तब बंदरगाह अर्थव्यवस्था अपनी पूरी क्षमता तक पहुंच रही है, इन 10 वर्ष में यह भारत सरकार की बंदरगाह और जलमार्ग नीति का खाका है, सरकार औद्योगिक गतिविधियों और राज्यों के समग्र विकास के प्रयासों में तेजी लाई है। प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत सरकार ने राज्य सरकारों के सहयोग से सागरमाला परियोजना के तहत बंदरगाह के बुनियादी ढांचे को उन्नत किया है और बंदरगाह कनेक्टिविटी को मजबूत किया है, पीएम गति शक्ति के तहत जलमार्ग, रेलवे, राजमार्ग और वायुमार्ग को निर्बाध कनेक्टिविटी केलिए तेजी से एकीकृत किया जा रहा है, व्यापार करने में आसानी के इन सुधारों से बंदरगाहों और बुनियादी ढांचे के क्षेत्रोंमें अधिक निवेश हुआ है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि भारत सरकार ने भारतीय नाविकों से संबंधित नियमों में भी सुधार किया है, जिससे महत्वपूर्ण परिणाम मिले। उन्होंने कहाकि 2014 में भारतीय नाविकों की संख्या 1.25 लाख से कम थी, वर्तमान में यह आंकड़ा 3.25 लाख से अधिक हो गया है, नाविकों की संख्या के मामले में भारत अब वैश्विक स्तरपर शीर्ष तीन देशों में शामिल है। प्रधानमंत्री ने कहाकि एक दशक पहले जहाजों को बंदरगाहों पर लंबे समय तक प्रतीक्षा करनी पड़ती थी, जिससे उतारने के कार्यों में काफी देरी होती थी, जो अब नहीं होती है। उन्होंने कहाकि मंदी ने व्यवसायों, उद्योगों और समग्र अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है, मगर अब स्थिति बदल गई है और पिछले 10 वर्ष में भारत के प्रमुख बंदरगाहों ने जहाजों के टर्न-अराउंड समय को 30 प्रतिशत तक कम कर दिया है, जिससे परिचालन दक्षता में सुधार हुआ है। उन्होंने कहाकि बढ़ी हुई बंदरगाह दक्षता के कारण भारत अब कम समय में अधिक कार्गो वॉल्यूम संभाल रहा है, जिससे देश की रसद और व्यापार क्षमताएं मजबूत हो रही हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत की समुद्री सफलता एक दशक लंबे विजन और प्रयास का परिणाम है, पिछले 10 वर्ष में भारत ने अपने बंदरगाहों की क्षमता को दोगुना कर दिया है और अपने राष्ट्रीय जलमार्गों का आठ गुना विस्तार किया है।
नरेंद्र मोदी ने कहाकि वर्तमान में दो भारतीय बंदरगाह वैश्विक शीर्ष 30 बंदरगाहों में शामिल हैं, जबकि लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन सूचकांक पर भारत की रैंकिंग में भी सुधार हुआ है, इसके अलावा भारत अब वैश्विक जहाज निर्माण में शीर्ष 20 देशों में शामिल है। प्रधानमंत्री ने कहाकि देशके बुनियादी ढांचे को मजबूत करने केबाद अब ध्यान वैश्विक व्यापार में भारत की रणनीतिक स्थिति पर केंद्रित हो गया है। प्रधानमंत्री ने समुद्री अमृतकाल विजन की शुरूआत की घोषणा की, जो विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने केलिए भारत की समुद्री रणनीति की रूपरेखा तैयार करता है। उन्होंने जी-20 शिखर सम्मेलन को याद किया, जहां भारत ने भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे की स्थापना केलिए कई प्रमुख देशों केसाथ सहयोग किया। उन्होंने इस गलियारे में केरल की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला और कहाकि राज्य को इस पहल से बहुत लाभ होगा। भारत के समुद्री उद्योग को नई ऊंचाइयों पर ले जाने में निजी क्षेत्रकी महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित कर नरेंद्र मोदी ने कहाकि सार्वजनिक-निजी भागीदारी के तहत पिछले 10 वर्ष में हजारों करोड़ रुपये का निवेश किया गया है, इस सहयोग ने न केवल भारत के बंदरगाहों को वैश्विक मानकों तक उन्नत किया है, बल्कि उन्हें भविष्य केलिए भी तैयार किया है।
प्रधानमंत्री ने कहाकि निजी क्षेत्र की भागीदारी ने नवाचार और दक्षता में बृद्धि की है। उन्होंने कहाकि भारत कोच्चि में एक जहाज निर्माण और मरम्मत क्लस्टर की स्थापना की दिशा में आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहाकि यह क्लस्टर रोजगार के कई नए अवसर पैदा करेगा, जिससे केरल की स्थानीय प्रतिभाओं और युवाओं को विकास के लिए एक मंच मिलेगा। प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत अब अपनी जहाज निर्माण क्षमताओं को मजबूत करने के लिए महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित कर रहा है, इस वर्ष में केंद्रीय बजट में भारत में बड़े जहाजों के निर्माण को बढ़ावा देने केलिए एक नई नीति पेश की गई है, जो विनिर्माण क्षेत्र को महत्वपूर्ण बढ़ावा देगी, इस पहल से एमएसएमई को सीधा लाभ मिलेगा, जिससे देशभर में बड़ी संख्या में रोजगार और उद्यमिता के अवसर पैदा होंगे। प्रधानमंत्री ने कहाकि केरल के लोगों ने पिछले 10 वर्ष में न केवल बंदरगाह के बुनियादी ढांचे में, बल्कि राजमार्गों, रेलवे और हवाई अड्डों के विकास में भी तेजी से प्रगति देखी है, कोल्लम बाईपास और अलप्पुझा बाईपास जैसी परियोजनाएं, जो वर्षों से रुकी हुई थीं, भारत सरकार ने आगे बढ़ाई हैं। उन्होंने कहाकि केरल को आधुनिक वंदे भारत ट्रेनें प्रदान की गई हैं, जिससे इसका परिवहन नेटवर्क और कनेक्टिविटी और मजबूत हुई है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि भारत सरकार इस सिद्धांत में दृढ़ता से विश्वास करती हैकि केरल का विकास भारत के समग्र विकास में योगदान देता है।
नरेंद्र मोदी ने कहाकि सरकार सहकारी संघवाद की भावना से काम करती है, जिससे पिछले दशक में प्रमुख सामाजिक मानकों में केरल की प्रगति सुनिश्चित हुई है। मछुआरों के कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि नीली क्रांति और प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत केरल केलिए सैकड़ों करोड़ रुपये की परियोजनाओं को मंजूरी दी गई हैं। उन्होंने पोन्नानी और पुथियाप्पा सहित मछली पकड़ने के बंदरगाहों के आधुनिकीकरण पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहाकि केरल में हजारों मछुआरों को किसान क्रेडिट कार्ड प्रदान किए गए हैं, जिससे उन्हें सैकड़ों करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता प्राप्त करने में मदद मिलती है। उन्होंने कहाकि केरल हमेशा से सद्भाव और सहिष्णुता की भूमि है, यहां सदियों पहले दुनिया के सबसे पुराने चर्चों में से एक सेंट थॉमस चर्च है। उन्होंने कहाकि पोप फ्रांसिस का निधन हो गया है, जो अपने पीछे एक गहरी विरासत छोड़ गए हैं। उन्होंने कहाकि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने उनके अंतिम संस्कार में भारत का प्रतिनिधित्व किया और राष्ट्र की ओर से श्रद्धांजलि अर्पित की। नरेंद्र मोदी ने केरल की पवित्र भूमि से इस क्षति पर शोक मनाने वाले सभी लोगों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की। कार्यक्रम में केरल के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर, केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन, मंत्रिगण और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

हिन्दी या अंग्रेजी [भाषा बदलने के लिए प्रेस F12]