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'प्रकृति से प्रेरित मधुमक्खी सबके जीवन की पोषक'

विश्व मधुमक्खी दिवस की थीम पर केवीआईसी के विभिन्न कार्यक्रम

मधुमक्खी पालन और शहद उत्पादन बना समग्र आजीविका मॉडल

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 21 May 2025 02:14:44 PM

bee standing on honeycomb surface

मुंबई। केंद्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय के अंतर्गत खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) के केंद्रीय कार्यालय विले पार्ले में विश्व मधुमक्खी दिवस-2025 पर ‘स्वीट रेवोल्यूशन उत्सव’ के रूपमें विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए। इस वर्ष की थीम है-‘प्रकृति से प्रेरित मधुमक्खी सबके जीवन की पोषक’। केवीआईसी के अध्यक्ष मनोज कुमार ने केवीआईसी की सीईओ रूप राशि केसाथ कार्यक्रम का उद्घाटन किया। इस अवसर पर महाराष्ट्र के विभिन्न जिलों से आए मधुमक्खी पालक लाभार्थी, प्रशिक्षु, वैज्ञानिक, छात्र और विशेषज्ञ उपस्थित थे। यह कार्यक्रम न केवल एक तकनीकी मंच, बल्कि ग्रामीण भारत के नवाचार, प्रेरणा और स्वावलंबन की सजीव मिसाल बना।
केवीआईसी के अध्यक्ष मनोज कुमार ने कहाकि मधुमक्खियां हमारे पारिस्थितिकी तंत्र की रीढ़ हैं, ये न केवल शहद देती हैं, बल्कि परागण के जरिए खेती को समृद्ध करती हैं और पर्यावरण का संरक्षण करती हैं। उन्होंने कहाकि ‘हनी मिशन’ गांवों की आजीविका का बड़ा आधार बन चुका है। उन्होंने उल्लेख कियाकि प्रधानमंत्री ने जब स्वीट रेवोल्यूशन का आह्वान किया था, तब उन्होंने एक नया रास्ता दिखाया, जिसमें शहद उत्पादन न केवल आर्थिक समृद्धि, बल्कि स्वास्थ्य समृद्धि का भी स्रोत बन गया, उनके नेतृत्व में केवीआईसी ने इस दिशामें जो कार्य किया है, वह आत्मनिर्भर भारत केलिए एक बड़ा कदम है। उन्होंने कहाकि केवीआईसी की ओरसे अबतक देशभर में 2,29,409 मधुमक्खी बक्से और मधु कॉलोनियां वितरित की गई हैं, जिससे लगभग 20000 मीट्रिक टन शहद का उत्पादन हुआ है, इससे मधुमक्खी पालकों को लगभग 325 करोड़ रुपये की आमदनी हुई है। उन्होंने बतायाकि वित्तीय वर्ष 2024-25 में केवीआईसी से जुड़े मधुमक्खी पालकों ने करीब 25 करोड़ रुपये मूल्य का शहद विदेश में निर्यात किया है।
केवीआईसी की सीईओ रूप राशि ने कहाकि केवीआईसी का हनी मिशन केवल एक योजना नहीं, बल्कि यह समग्र आजीविका मॉडल है, ग्रामीण क्षेत्रों में हजारों युवाओं, महिलाओं और किसानों को इससे रोज़गार मिल रहा है। उन्होंने कहाकि केवीआईसी संचालित हनी प्रोसेसिंग प्लांट्स, प्रशिक्षण केंद्र और मार्केटिंग नेटवर्क ने मधुमक्खी पालन को आत्मनिर्भरता की दिशा में अग्रसर किया है। कार्यक्रम में केंद्रीय मधुमक्खी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान पुणे की ऐतिहासिक भूमिका पर भी प्रकाश डाला गया। वर्ष 1962 में स्थापित इसने आजतक 50000 से अधिक मधुमक्खी पालकों को आधुनिक तकनीकी ट्रेनिंग दी है। सीबीआरटीआई का उद्देश्य न केवल शहद उत्पादन को बढ़ावा देना है, बल्कि किसानों को परागण के माध्यम से कृषि और बागवानी उत्पादकता बढ़ाने की जानकारी देना, मधुमक्खी पालन से संबंधित अनुसंधानों को बढ़ावा देना और उद्यमिता विकास को सशक्त करना भी है। वैज्ञानिकों ने बतायाकि मधुमक्खियां केवल शहद उत्पादन तक सीमित नहीं हैं, बल्कि लगभग 75 प्रतिशत खाद्य फसलों का परागण मधुमक्खियों के माध्यम से होता है, यदि मधुमक्खियां न रहें तो 30 प्रतिशत खाद्य फसलें और 90 प्रतिशत जंगली पौधों की प्रजातियां संकट में आ सकती हैं। कार्यक्रम में देशभर के हिस्सों से लाभार्थियों ने डिजिटल रूपसे अपनी सफलता की कहानियां साझा कीं। 

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