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Tuesday 8 July 2025 04:53:49 PM
सारनाथ/ नई दिल्ली। केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ और महाबोधि सोसाइटी ऑफ इंडिया साथ मिलकर गुरुवार 10 जुलाई 2025 को आषाढ़ पूर्णिमा पर सारनाथ के मूलगंध कुटी विहार में भव्य आध्यात्मिक कार्यक्रम केसाथ धम्मचक्कप्पवत्तन दिवस मनाएंगे। ज्ञातव्य हैकि आषाढ़ पूर्णिमा को धम्म चक्र प्रवर्तन की प्रक्रिया का प्रथम महत्वपूर्ण मोड़ माना जाता है, इसी दिन तथागत भगवान गौतम बुद्ध ने अब सारनाथ केनाम से विख्यात ऋषिपटन मृगादय के मृग उद्यान में पंचवर्गीय (पांच तपस्वी साथियों) को पहलीबार उपदेश दिया था। यह पवित्र अवसर वर्षा वास अर्थात वर्षा ऋतु में विश्राम की शुरुआत का भी संकेत है। संपूर्ण बौद्ध भिक्षु और भिक्षुणियां इस पावन अवसर पर अपने धार्मिक रीति-रिवाजों का पालन करते हैं।
वाराणसी में सारनाथ एक महत्वपूर्ण बौद्ध तीर्थस्थल है और यह भगवान बुद्ध केसाथ अपने जुड़ाव केलिए देश-दुनियाभर में प्रसिद्ध है। सारनाथ में ही भगवान बुद्ध ने बुद्ध धम्म की नींव रखते हुए चार आर्य सत्य और आर्य अष्टांगिक मार्ग का ज्ञान साझा किया था। श्रीलंका में यह दिन एसाला पोया और थाईलैंड में असन्हा बुचा के रूपमें मनाया जाता है। इस दिन का बौद्ध धर्म को मानने वाले देशों में गंभीर आध्यात्मिक महत्व है। इसके अतिरिक्त बौद्ध और हिंदू समुदाय आषाढ़ पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूपमें भी मनाते हैं। यह ज्ञान के माध्यम से जीवन के अंधकार का नाश करने वाले अपने आध्यात्मिक गुरुओं केप्रति सम्मान और श्रद्धा प्रकट करने का दिन है। सारनाथ के मूलगंध कुटी विहार में भव्य आध्यात्मिक कार्यक्रमों के अंतर्गत ऐतिहासिक धामेक स्तूप पर संध्याकाल में सम्मानित संघ समुदाय के नेतृत्व में पवित्र परिक्रमा और मंत्रोच्चारण से कार्यक्रम की शुरुआत होगी। पारंपरिक रीतियों के अनुसार अनुष्ठान में भ्रमण और मंत्रोच्चारण से समारोह स्थल पर गहन आध्यात्मिक ऊर्जा जागृत होगी, उसके बाद प्रख्यात भिक्षुओं, विद्वानों और गणमान्य नागरिकों की ओर से मंगलाचरण पाठ होगा और चिंतन-मनन किया जाएगा।
बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार केलिए नई दिल्ली में 2012 में वैश्विक बौद्ध सम्मेलन केबाद स्थापित अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ 39 देशों और 320 से अधिक सदस्य निकायों में बौद्ध संगठनों, मठवासी आदेशों और आम संस्थाओं को एकसाथ लाने वाला विश्व का पहला संगठन है। अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ का मुख्यालय नई दिल्ली में है। यह विश्वस्तर पर मान्यता प्राप्त ऐसा मंच है, जो सभी परंपराओं, क्षेत्रों और लिंगों के समावेशी प्रतिनिधित्व के लिए प्रतिबद्ध है। अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ बौद्ध मूल्यों को वैश्विक चर्चा में शामिल करने और सद्भाव को बढ़ावा देने के अपने मिशन केसाथ एकता, करुणा और आध्यात्मिक संवाद की दृष्टि को कायम रखता है। इसकी शासी संरचना में मठवासी भिक्षुओं और आमजन, दोनों की भागीदारी शामिल है, जो वास्तव में बुद्ध धम्म के संरक्षण और प्रचार में सामूहिक जिम्मेदारी के सिद्धांत को दर्शाती है।