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Saturday 7 June 2025 02:52:40 PM
विशाखापत्तनम। भारतीय नौसेना के विशाखापत्तनम डॉकयार्ड में पहला एंटी सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट ‘अर्णाला’ को 18 जून 2025 को समारोहपूर्वक शामिल किया जाएगा। सोलह एंटी सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट श्रेणी के जहाजों में से एक अर्णाला पोत को नौसेना में औपचारिक रूपसे शामिल किए जाने का यह अवसर होगा, जिसका निर्माण कोलकाता की गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स ने लॉर्सन एंड टुब्रो शिपबिल्डर्स केसाथ सार्वजनिक-निजी भागीदारी में किया है। अर्नाला पोत रक्षा निर्माण में आत्मनिर्भर भारत की सफलता का प्रमाण है। समारोह की अध्यक्षता चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान और मेज़बानी पूर्वी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ वाइस एडमिरल राजेश पेंढारकर करेंगे। नौसेना के वरिष्ठ अधिकारी, विशिष्ट अतिथि और पोत निर्माण से जुड़ी विभिन्न एजेंसियों के प्रतिनिधि समारोह में शामिल होंगे।
पोत निर्माण निदेशालय के मार्गदर्शन और कोलकाता एवं कट्टुपल्ली में युद्धपोत निरीक्षण टीमों की देखरेख में निर्मित अर्णाला पोत को 8 मई 2025 को भारतीय नौसेना को सौंपा गया था। महाराष्ट्र के वसई में ऐतिहासिक अर्णाला किले के नामसे प्रसिद्ध यह युद्धपोत भारत की समृद्ध समुद्री विरासत को दर्शाता है। विभिन्न खतरों के खिलाफ मजबूती से खड़े किले की तरह अर्णाला जहाज समुद्र में दुर्जेय उपस्थिति दर्ज कराएगा। इसका मजबूत निर्माण और उन्नत क्षमताएं सुनिश्चित करती हैंकि यह समुद्री चुनौतियों का सामनाकर उभरते खतरों से जलीय क्षेत्रमें देश की समर्पित होकर रक्षा करेगा। स्वदेशी अर्णाला पोत भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, एलएंडटी, महिंद्रा डिफेंस और मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड एमईआईएल सहित प्रमुख भारतीय रक्षा फर्मों की उन्नत प्रणालियों से समृद्ध है। जहाज निर्माण परियोजना में घरेलू उद्योग को बढ़ावा देने और संबंधित आर्थिक गतिविधियां उत्पन्न करने वाले 55 से अधिक सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्यम शामिल रहे हैं।
एंटी सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट ऑपरेशन श्रृंखला केलिए डिज़ाइन और निर्मित गया अर्णाला पोत उपसतह तटीय इलाकों में खुफिया निगरानी, तटीय सुरक्षा, खोज और बचाव तथा कम तीव्रता वाले समुद्री अभियानों में सक्षम है। भारतीय नौसेना का 1490 टन से अधिक वजन का 77.6 मीटर लंबा यह सबसे बड़ा डीजल इंजन वॉटरजेट संयोजन से चलने वाला युद्धपोत है। अर्णाला पोत के नौसेना बेड़े में शामिल होने से यह भारत की नौसैनिक क्षमताओं में परिवर्तनकारी बदलाव लाएगा। इससे तटीय सुरक्षा मजबूत होगी और रणनीतिक रूपसे महत्वपूर्ण हिंद महासागर क्षेत्रमें यह आत्मनिर्भर समुद्री शक्ति के रूपमें भारत की स्थिति को और सुदृढ़ बनाएगा।