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Thursday 5 June 2025 06:12:41 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण और किर्गिज के विदेश मंत्री झीनबेक कुलुबाएव मोल्दोकानोविच ने आज नई दिल्ली में एक बैठक में भारत और किर्गिज सरकार केबीच द्विपक्षीय निवेश संधि प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए और अनुसमर्थन का आदान प्रदान किया। गौरतलब हैकि भारत और किर्गिज़ सरकार केबीच 14 जून 2019 को बिश्केक में हस्ताक्षरित यह द्विपक्षीय निवेश संधि आजसे लागू हो चुकी है। यह नई संधि 12 मई 2000 को लागू पूर्व समझौते का स्थान लेगी, इससे दोनों देशों केबीच निवेश की सुरक्षा में निरंतरता सुनिश्चित होगी। भारत-किर्गिज द्विपक्षीय निवेश संधि आर्थिक संबंधों को मजबूत करने और सुरक्षित व पूर्वानुमानित निवेश वातावरण को बढ़ावा देने में एक बड़ा और महत्वपूर्ण कदम है। संधि का उद्देश्य एकदूसरे के क्षेत्रमें किसीभी देश के निवेशकों के हितों को बढ़ावा देना और उनकी रक्षा करना है।
भारत-किर्गिज द्विपक्षीय निवेश संधि की मुख्य विशेषताएं हैं-प्रस्तावना में सतत विकास पर जोर, उद्यम आधारित परिसंपत्तियों की परिभाषा जिसमें एक सांकेतिक समावेशन सूची और परिसंपत्तियों की विशिष्ट बहिष्करण सूची शामिल है, जो निवेश की विशेषताओं को स्पष्ट करती है जैसे-पूंजी की प्रतिबद्धता, लाभ या मुनाफे की उम्मीद, जोखिम की धारणा और मेजबान राष्ट्र के विकास केलिए महत्व। इसके अंतर्गत स्थानीय सरकार, सरकारी खरीद, कराधान, सरकारी प्राधिकरण की सेवाएं, अनिवार्य लाइसेंस से संबंधित मामलों को बाहर रखा जाएगा, ताकि ऐसे मामलों में सरकार केपास पर्याप्त नीतिगत रूपसे बना रहे। द्विपक्षीय निवेश संधि निवेश प्रतिपादन केलिए मुख्य तत्वों को परिभाषित करने का प्रयास करता है जैसाकि अंतर्राष्ट्रीय कानून में पाया जाता है। यह निवेश संधि दोनों देशों की संप्रभु विनियामक शक्तियों केसाथ निवेशक अधिकारों को संतुलित करती है, यह एक लचीला और पारदर्शी निवेश वातावरण केलिए साझा प्रतिबद्धता को दर्शाती है, इससे सीमापार निवेश को और बढ़ावा मिलने तथा भारत-किर्गिस्तान केबीच आर्थिक सहयोग और ज्यादा मजबूत होने की उम्मीद है।
भारत और किर्गिज सरकार केबीच द्विपक्षीय निवेश संधि राष्ट्रीय प्रतिपादन, अधिग्रहण और हस्तांतरण पर प्रावधानों के माध्यम से एक संतुलित रूपरेखा सुनिश्चित करती है। पूर्व में सर्वाधिक पसंदीदा राष्ट्र (एमएफएन) दायित्व ने निवेशकों को मेजबान राष्ट्र द्वारा संपन्न अन्य संधियों से चुनिंदा रूपसे अनुकूल मूल प्रावधानों को आयात करने की अनुमति दी है। इस द्विपक्षीय निवेश संधि में एमएफएन खंड को हटा दिया गया है और इसमें दो तरह के अपवाद हैं पहला-सामान्य और सुरक्षा अपवाद, जिसका उद्देश्य राष्ट्र केलिए नीतिगत स्थान बनाना है। दूसरा-सामान्य अपवादों में पर्यावरण की सुरक्षा, सार्वजनिक स्वास्थ्य व सुरक्षा सुनिश्चित करना एवं सार्वजनिक नैतिकता और सार्वजनिक व्यवस्था की रक्षा करना शामिल है। द्विपक्षीय निवेश संधि ने निवेशक राष्ट्र विवाद निपटान तंत्र को स्थानीय उपायों की अनिवार्य समाप्ति केसाथ समायोजित किया है, जिससे निवेशकों को वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र उपलब्ध हो सके।