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कतर पहुंची पठानकोट की गुलाब वाली लीची

पठानकोट गुणवत्तापूर्ण लीची की खेती व निर्यात का उभरता केंद्र

ताजे फलों के अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में भारत की मजबूत उपस्थिति

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 27 June 2025 03:07:52 PM

litchi

पठानकोट (पंजाब)। देश के बागवानी निर्यात को बढ़ावा देते हुए केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय केतहत कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) ने पंजाब सरकार के कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय में बागवानी विभाग के सहयोग से पठानकोट से क़तर केलिए 1 मीट्रिक टन गुलाब की खुशबू वाली लीची की पहली खेप पहुंचा दी है। पठानकोट से दुबई को भी 0.5 मीट्रिक टन लीची का निर्यात किया गया है, जो दोहरी निर्यात उपलब्धि है और ताजे फलों के वैश्विक बाजारों में भारत की उपस्थिति को मजबूत करता है। उपलब्धिभरी यह पहल भारत के बागवानी उत्पादों की उत्कृष्टता को दर्शाती है और देश की बढ़ती कृषि निर्यात क्षमताओं को उजागर करती है। यह किसानों को उनके ताजे और उच्च मूल्य वाले उत्पादों केलिए अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंच प्रदान करके अपार अवसर प्रदान करता है।
कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण ने लीची की खेप रवानगी को पंजाब सरकार के बागवानी विभाग, लुल्लू ग्रुप और सुजानपुर के प्रगतिशील किसान प्रभात सिंह के सहयोग से संचालित किया, जिन्होंने उच्चगुणवत्ता वाली लीची की आपूर्ति की है। राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड के अनुसार वित्तीय वर्ष 2023-24 केलिए पंजाब का लीची उत्पादन 71490 मीट्रिक टन था, जो भारत के कुल लीची उत्पादन में 12.39 प्रतिशत का योगदान देता है। इसी अवधि में भारत ने 639.53 मीट्रिक टन लीची का निर्यात किया है। खेती का रकबा 4,327 हेक्टेयर था, जिसकी औसत उपज 16,523 किलोग्राम/ हेक्टेयर रही। लीची की रवाना की गई इस खेप में प्रीमियम पठानकोट लीची का एक रीफर पैलेट शामिल है, जो इस क्षेत्रके उत्पादकों केलिए एक बड़ी पहल है। प्रभात सिंह जैसे किसानों की सफलता पठानकोट की क्षमता को दर्शाती है, जो गुणवत्तापूर्ण लीची की खेती और निर्यात केलिए एक उभरते हुए केंद्र के रूपमें अनुकूल कृषि जलवायु परिस्थितियों से लाभांवित है।
वित्तीय वर्ष 2024-25 (अप्रैल-मार्च) में भारत का फलों और सब्जियों का निर्यात 3.87 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच चुका है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 5.67 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है, जबकि आम, केले, अंगूर और संतरे फलों के निर्यात में हावी हैं, वहीं चेरी, जामुन और लीची अब तेजीसे अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में अपनी जगह बना रहे हैं। ये प्रयास कृषि निर्यात का दायरा बढ़ाने, किसानों को सशक्त बनाने और भारतीय उपज की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने केलिए केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं। केंद्रित कार्यक्रमों केसाथ एपीडा एफपीओ, एफपीसी और कृषि निर्यातकों केलिए बाजार तक पहुंच को सक्षम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, इससे कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों में दुनियाभर में अग्रणी के रूपमें भारत की स्थिति और मजबूत हो रही है।

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