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Thursday 15 May 2025 01:15:01 PM
रायपुर। सशस्त्र सुरक्षाबलों ने दावा किया हैकि उन्होंने नक्सलवाद के विरुद्ध अबतक के सबसे बड़े ऑपरेशन में छत्तीसगढ़ और तेलंगाना राज्य की सीमा के अभेद्य कुर्रेगुट्टालू पहाड़ पर 31 कुख्यात नक्सलियों को मार गिराने में सफलता प्राप्त की है। केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल के महानिदेशक ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने रायपुर में एक संयुक्त प्रेस वार्ता में इस अभियान की जानकारी देते हुए कहाकि नक्सलवाद को 31 मार्च 2026 तक खत्म करने के संकल्प को पूरा करने केलिए हम प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने बतायाकि ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट में कोबरा सीआरपीएफ और छत्तीसगढ़ पुलिस की टीमों ने मिलकर 31 नक्सलियों के शव बरामद किए हैं, जिनमें से 28 की पहचान हो चुकी है, यह ऑपरेशन 1200 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रमें चलाया गया था और सूचना हैकि कई और नक्सली भी मारे गए हैं। उन्होंने इसे अबतक की सबसे बड़ी उपलब्धि बताया है, क्योंकि इतनी बड़ी संख्या में नक्सलियों का खात्मा पहले कभी नहीं हुआ है।
छत्तीसगढ़ पुलिस और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों ने छत्तीसगढ़ और तेलंगाना सीमा पर नक्सलियों का अभेद्य गढ़ समझे जाने वाले कुर्रेगुट्टालू पहाड़ पर 21 दिन तक चली मुठभेड़ में 16 वर्दीधारी महिला नक्सलियों समेत कुल 31 वर्दीधारी नक्सलियों के शव और 35 हथियार बरामद किए हैं। अबतक 28 नक्सलियों की शिनाख्त हो चुकी है, जिनपर कुल 1 करोड़ 72 लाख रूपए के इनाम घोषित थे। उन्होंने बतायाकि 21 अप्रैल 2025 से 11 मई 2025 तक चले नक्सल विरोधी अभियान में संकेत मिले हैंकि मुठभेड़ स्थल से बरामद शव प्रतिबंधित, अवैध और नक्सलियों के सबसे मजबूत सशस्त्र संगठन पीएलजीए बटालियन, सीआरसी कंपनी एवं तेलंगाना स्टेट कमेटी के काडर के हो सकते हैं। गौरतलब हैकि छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बलों ने ज्वाईंट एक्शन प्लान के अंतर्गत नक्सली विरोधी अभियान चलाया हुआ है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी X प्लेटफॉर्म पर एक पोस्ट के माध्यम से कहाकि जिस कुर्रेगुट्टालू पहाड़ पर कभी लाल आतंक का राज था, वहां आज शान से तिरंगा लहरा रहा है।
कुर्रेगुट्टालू पहाड़ पीएलजीए बटालियन 1, डीकेएसजेडसी, टीएससी और सीआरसी जैसी बड़ी नक्सल संस्थाओं का एकीकृत मुख्यालय था, जहां नक्सल ट्रेनिंग केसाथ-साथ हमलावर रणनीतियां और हथियार भी बनाए जाते थे। गृहमंत्री अमित शाह का कहना हैकि इस सबसे बड़े अभियान में ये अत्यंत हर्ष का विषय हैकि इस ऑपरेशन में शामिल किसी भी जवान की हानि नहीं हुई है। गृहमंत्री ने खराब मौसम और दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रमें बहादुरी और शौर्य से नक्सलियों का सामना करने वाले सीआरपीएफ, एसटीएफ और डीआरजी के जवानों को बधाई दी। गृहमंत्री ने कहाकि पूरे देश को हमारे जवानों पर गर्व है और नरेंद्र मोदी सरकार नक्सलवाद को जड़ से मिटाने केलिए संकल्पित है। उन्होंने देशवासियों को पुनः विश्वास दिलायाकि 31 मार्च 2026 तक भारत का नक्सलमुक्त होना तय है। यह भी उल्लेखनीय हैकि नक्सलियों के सबसे मजबूत सशस्त्र संगठन पीएलजीए बटालियन, सीआरसी कंपनी एवं तेलंगाना स्टेट कमेटी सहित अनेक शीर्ष काडर्स की सुकमा एवं बीजापुर के सीमावर्ती क्षेत्रों में शरणस्थली थी। इस क्षेत्रमें चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में सुरक्षाबलों ने अनेक नए सुरक्षा कैम्पों की स्थापना की है, जिससे नक्सलियों को यूनिफाइड कमांड का गठन कर बीजापुर, छत्तीसगढ़ एवं मुलुगू, तेलंगाना की सीमा पर अभेद्य समझे जाने वाले कुर्रेगुट्टालू पहाड़ पर शरण लेनी पड़ी थी।
कुर्रेगुट्टालू पहाड़ लगभग 60 किलोमीटर लम्बा एवं 5 किलोमीटर से लेकर 20 किलोमीटर चौड़ा अत्यंत दुष्कर है, जिसकी भौगोलिक परिस्थिति बेहद कठिन और चुनौतीपूर्ण है। नक्सलियों ने पिछले ढाई वर्ष में इस क्षेत्रमें अपना बेस तैयार किया, जहां उनके लगभग 350 आर्म्ड काडर्स, पीएलजीए बटालियन के टेक्निकल डिपार्टमेंट एवं महत्वपूर्ण संगठनों की शरणस्थली थी। छत्तीसगढ़ पुलिस एवं केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों ने 21 अप्रैल 2025 से एक व्यापक ज्वाईंट ऑपरेशन शुरु किया था। सूचनाओं का निरंतर विश्लेषण कर ऑपरेशनल कमांडरों को रियल टाइम पर भेजा गया, जिससे सुरक्षाबलों को न केवल नक्सलियों, उनके ठिकाने एवं डंप का पता चला, बल्कि कई मौकों पर सुरक्षाबलों का आईईडी से बचाव भी संभव हो सका। सुरक्षाबलों को सूचनाओं के आधार पर बड़ी संख्या में आईईडी, बीजीएल शेल और बड़ी मात्रा में विस्फोटक सामग्री बरामद करने में सफलता हासिल हुई। अभियान में अबतक कुल 214 नक्सली ठिकाने और बंकर नष्ट किए जा चुके हैं, तलाशी के दौरान कुल 450 आईईडी, 818 बीजीएल शेल, 899 बंडल कॉडेक्स, डेटोनेटर और भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्री बरामद की जा चुकी है, लगभग 12 हज़ार किलोग्राम खानेपीने का सामान भी बरामद किया गया है।
अभियान के विश्लेषण से अनुमान लगाया जा रहा हैकि इसमें कई वरिष्ठ नक्सली काडर या तो मारे गए हैं या गंभीर रूपसे घायल हुए हैं। कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के कारण सुरक्षाबल अभीतक सभी घायल या मारे गए नक्सलियों के शव बरामद नहीं कर पाए हैं। बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों, उपकरणों और अन्य लॉजिस्टिक का मोबिलाइजेशन प्रोफेशनल तरीके से किया गया। अभियान के विभिन्न आईईडी विस्फोटों में कोबरा, एसटीएफ और डीआरजी के 18 जवान भी घायल हुए, सभी घायल जवान खतरे से बाहर हैं और उन्हें विभिन्न अस्पतालों में सर्वोत्तम उपचार प्रदान दिया जा रहा है। वहां दिन का तापमान 45 डिग्री से अधिक होने के कारण अनेक जवान डिहाईड्रेशन के शिकार भी हुए हैं। नक्सलियों पर सुरक्षाबलों की पकड़ मजबूत हुई है और सुरक्षाबल बीजापुर जिले के नेशनल पार्क तथा नारायणपुर जिले के माड़ क्षेत्र में लगातार नक्सलियों पर भारी पड़ रहे हैं।