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Monday 23 June 2025 03:40:09 PM
नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आज भारतीय लागत लेखाकार संस्थान नई दिल्ली के दीक्षांत समारोह में स्नातकों से कहा हैकि उनकी जिम्मेदारियां वित्तीय लेखांकन से कहीं अधिक हैं और लागत लेखाकार के रूपमें वे वर्ष 2047 तक भारत को विकसित बनाने में योगदान देने केलिए अद्वितीय स्थिति में हैं। राष्ट्रपति ने विश्वास व्यक्त कियाकि आईसीएमएआई में दी जानेवाली शिक्षा उनको न केवल एक सफल पेशेवर, बल्कि राष्ट्र निर्माता भी बनाएगी। द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि भारत के इतिहास में लेखांकन और जवाबदेही का घनिष्ठ संबंध होने के कारण प्रबंधन लेखाकारों को समाज में उच्च सम्मान प्राप्त है और हम जवाबदेही को महत्व देते हैं, इसलिए लेखांकन को विशेष महत्व देते हैं।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि आधुनिक समय में इस समृद्ध विरासत को दूसरे और शैक्षणिक संस्थाओं के अलावा भारतीय लागत लेखाकार संस्थान भी बढ़ावा दे रहा है। राष्ट्रपति ने कहाकि भारतीय लागत लेखाकार संस्थान की स्थापना वर्ष 1944 में देश में लागत और प्रबंधन लेखाकारों के विनियमन एवं विकास केलिए की गई थी और स्वतंत्रता केबाद यह न केवल आर्थिक परिवर्तन का साक्षी है, बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था को दुनिया की सबसे मजबूत अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनाने में बहुतही महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उन्होंने कहाकि आईसीएमएआई ने अपनी भूमिका सुर्खियों से दूर रहकर निभाई है, लेकिन आर्थिक और कॉर्पोरेट इतिहास के विशेषज्ञ हमारे औद्योगिक विकास में लागत और प्रबंधन लेखाकारों की भूमिका के महत्व की सराहना करते हैं।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि भारतीय लागत लेखाकार संस्थान देश की प्रगति में प्रमुख रूपसे भागीदार है, यह नीति निर्माताओं, केंद्र और राज्य सरकारों केसाथ विभिन्न संगठनों को लागत कुशल रणनीतियां, प्रणालियां विकसित करने में अत्यधिक मूल्यवान सहायता प्रदान करता है और इसने अपने कार्यों को कारखानों में लागत लेखांकन से लेकर प्रबंधन लेखांकन तक बढ़ते देखा है। राष्ट्रपति ने इस अवसर पर यह भी जिक्र कियाकि विश्व जलवायु परिवर्तन का सामना कर रहा है और स्थिरता अब एक आवश्यकता बन गई है। उन्होंने कहाकि अब कॉर्पोरेट संगठनों को केवल लाभ के उद्देश्य से काम करने के अलावा पर्यावरण की लागत को भी ध्यान में रखना होगा और भारतीय लागत लेखाकार संस्थान अपने कौशल से इस दिशामें बड़ा बदलाव ला सकता है।