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Monday 23 June 2025 06:38:38 PM
नोएडा। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज गौतमबुद्धनगर (नोएडा) में भारतीय विश्वविद्यालय संघ (एआईयू) के आयोजित कुलपतियों के 99वें वार्षिक सम्मेलन और राष्ट्रीय सम्मेलन (2024-2025) के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए देश की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहाकि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 एक ऐसा विकास है, जिसने वास्तव में हमारी शिक्षा प्रणाली के परिदृश्य को बदल दिया है। उपराष्ट्रपति ने कहाकि उन्हें पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के रूपमें इससे जुड़ने का सौभाग्य मिला, इस नीति को देशभर के हजारों लोगों ने सुझाव और सहयोग देकर आकार दिया, यह नीति हमारी सभ्यता की भावना, सार और लोकाचार केसाथ प्रतिध्वनित होती है, जब इसे लागू किया जाता है तो यह शिक्षा के मूल स्वरूप को बदल देती है। उन्होंने कहाकि यह भारत की उस शाश्वत मान्यता की एक साहसिक पुष्टि हैकि शिक्षा स्वयं का जागरण है, नकि केवल कौशल हासिल करने का साधन।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहाकि उनका मानना हैकि शिक्षा स्वयं को जागृत करने का सशक्त माध्यम है, शिक्षा जिस तरह से समानता लाती है, वैसा कुछ भी नहीं है, यह असमानताओं को खत्म करती है और लोकतंत्र को जीवन देती है। उत्तर प्रदेश सरकार को बधाई देते हुए उपराष्ट्रपति ने कहाकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक बेहतरीन पहल की है, आईटी को 'उद्योग का दर्जा' दिया है, जिससे सकारात्मक विकास को बढ़ावा मिल रहा है, स्कूली शिक्षा के स्तरपर भी यूपी की पहचान बढ़ रही है एवं प्रशासन में पारदर्शिता और जवाबदेही इसकी पहचान बन रही है। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहाकि भारत अवसरों, उद्यमिता, स्टार्टअप और नवाचार के रूपमें उभरा है, हर उस पैरामीटर पर जहां वृद्धि और विकास को मापा जा सकता है, तेजीसे आगे बढ़ रहा है। विश्वविद्यालयों की भूमिका पर उपराष्ट्रपति ने कहाकि विश्वविद्यालय केवल डिग्री बांटने केलिए नहीं, बल्कि विश्वविद्यालयों को विचारों, कल्पनाओं और नवाचार का केंद्र होना चाहिए, बड़े बदलाव को गति देनी चाहिए। उन्होंने कहाकि यह जिम्मेदारी विशेष रूपसे कुलपतियों और सामान्य रूपसे शिक्षाविदों पर है, कुलपति न केवल निगरानीकर्ता हैं, बल्कि शिक्षा के वस्तुकरण और व्यावसायीकरण के खिलाफ अभेद्य सुरक्षा कवच भी हैं।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपील कीकि विश्वविद्यालयों में असहमति, वाद-विवाद, संवाद जैसी चर्चाएं होनी चाहिएं, इससे विद्यार्थियों के मस्तिष्क की कोशिकाएं सक्रिय होती हैं एवं अभिव्यक्ति, वाद-विवाद हमारी सभ्यता, हमारे लोकतंत्र के अविभाज्य पहलू हैं। उन्होंने कहाकि जब आप दुनिया को देखेंगे तो आपको इसका महत्व और अच्छे से समझ में आएगा। उन्होंने कहाकि शिक्षा की स्थिति न केवल शिक्षाविदों की स्थिति को परिभाषित करती है, बल्कि राष्ट्र की स्थिति को भी परिभाषित करती है, हम पश्चिमी नवाचार के छात्र नहीं बने रह सकते, जब हमारी जनसांख्यिकीय लाभ की स्थिति दुनिया के ज्ञान के केंद्र के रूपमें कही जाती है और जब हम अपने प्राचीन इतिहास को देखते हैं तो हमें अपने समृद्ध अतीत की याद आती है। जगदीप धनखड़ ने कहाकि अब समय आ गया हैकि भारत में विश्वस्तरीय शैक्षणिक संस्थान होने चाहिएं, न केवल पढ़ाने केलिए, बल्कि अग्रणी होने केलिए। उन्होंने कहाकि ये केवल अनुशासन नहीं हैं, ये आनेवाले समय में हमारी संप्रभुता के आश्वासन के केंद्र हैं।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहाकि हमारे कई संस्थान ब्राउनफील्ड बने हुए हैं, आइए हम वैश्विक रफ़्तार केसाथ चलें, हरित बनें, ग्रीनफील्ड संस्थान ही इन ज्ञान केंद्रों का समान वितरण करते हैं, ऐसे स्थान हैं, जो इन संस्थानों के विकास से अछूते हैं, आबादी का एक बड़ा हिस्सा दूरी के कारण इन लाभों से वंचित है, आइए हम उन क्षेत्रोंमें ग्रीनफील्ड संस्थानों की स्थापना करें, जिन्हें अबतक ऐसे संस्थानों से कोई लाभ नहीं मिला है। उन्होंने कहाकि हमारे मूलभूत उद्देश्यों में से एक हैकि आम लोगों केलिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की सामर्थ्य और पहुंच सुनिश्चित हो। उन्होंने कहाकि शिक्षा सिर्फ़ जनहित केलिए नहीं है, यह हमारी सबसे रणनीतिक राष्ट्रीय संपत्ति है, यह न सिर्फ़ बुनियादी ढांचे या अन्य किसी मामले में हमारी विकास यात्रा से जुड़ी है, बल्कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा का भी आश्वासन देती है। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश सरकार के आईटी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्री सुनील कुमार शर्मा, एमिटी एजुकेशन एंड रिसर्च ग्रुप के संस्थापक अध्यक्ष डॉ अशोक कुमार चौहान, एआईयू के अध्यक्ष प्रोफेसर विनय कुमार पाठक, एआईयू की महासचिव डॉ पंकज मित्तल और विद्यार्थी उपस्थित थे।