स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Tuesday 24 June 2025 05:27:21 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज श्रीनारायण धर्म संघम ट्रस्ट के आयोजित संत श्रीनारायण गुरु और महात्मा गांधी केबीच ऐतिहासिक बातचीत के शताब्दी समारोह को संबोधित किया। संत श्रीनारायण गुरु और महात्मा गांधी की यह बातचीत 12 मार्च 1925 को शिवगिरी मठ में वायकोम सत्याग्रह, धार्मिक रूपांतरण, अहिंसा, अस्पृश्यता उन्मूलन, मोक्ष की प्राप्ति, दलितों के उत्थान आदि पर केंद्रित थी। प्रधानमंत्री ने कहाकि आज यह स्थल देश के इतिहास में एक अभूतपूर्व क्षण का साक्षी बन रहा है, यह एक ऐतिहासिक घटना थी, जिसने देश के स्वतंत्रता आंदोलन को नई दिशा दी, स्वतंत्रता के उद्देश्यों को ठोस अर्थ दिया और एक स्वतंत्र भारत के सपने को साकार किया। प्रधानमंत्री ने कहाकि संत श्रीनारायण गुरु और महात्मा गांधी केबीच 100 साल पहले हुई मुलाकात आजभी प्रेरणादायक और प्रासंगिक है एवं सामाजिक सद्भाव और विकसित भारत के सामूहिक लक्ष्यों केलिए ऊर्जा के एक शक्तिशाली स्रोत के रूपमें काम कर रही है। उन्होंने इस अवसर पर संत श्रीनारायण गुरु को प्रणाम किया और महात्मा गांधी को भी श्रद्धांजलि दी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि संत श्रीनारायण गुरु के आदर्श मानवता केलिए एक बहुत बड़ी पूंजी है, देश और समाजसेवा केलिए प्रतिबद्ध लोगों केलिए संत श्रीनारायण गुरु मार्गदर्शक प्रकाश की तरह हैं। प्रधानमंत्री ने समाज के उत्पीड़ित, शोषित और वंचित वर्गों केसाथ अपने संबंधों को साझा किया और कहाकि जब वे इन समुदायों की बेहतरी केलिए बड़े फैसले लेते हैं तो वे श्रीनारायण गुरु को याद करते हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि संत श्रीनारायण गुरु का विश्वास सत्य, सेवा और सद्भावना में दृढ़ विश्वास केसाथ सद्भाव और समानता में निहित था, यही प्रेरणा हमें ‘सबका साथ, सबका विकास’ का मार्ग दिखाती है, यह विश्वास हमें एक ऐसे भारत का निर्माण करने की शक्ति देता है, जहां अंतिम छोर पर खड़ा व्यक्ति हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने कहाकि शिवगिरी मठ से जुड़े लोग इस बातसे भलीभांति परिचित हैंकि उनकी संत श्रीनारायण गुरु और मठ में गहरी एवं अटूट आस्था है। प्रधानमंत्री ने कहाकि उन्हें भारत की आध्यात्मिक परंपराओं और उसके ऋषियों-मुनियों की विरासत को करीब से समझने और जीने का सौभाग्य मिला है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि भारत की एक अनूठी ताकत यह हैकि जबभी देश में उथल-पुथल होती है तो देश के किसी कोने से कोई महान व्यक्ति समाज को नई राह दिखाने केलिए उभरता है, श्रीनारायण गुरु ऐसेही महान संतों में से एक थे, ‘निवृत्ति पंचकम’ और ‘आत्मोपदेश शतकम’ जैसी उनकी रचनाएं अद्वैत और आध्यात्मिक अध्ययन के किसीभी छात्र केलिए आवश्यक मार्गदर्शक के रूपमें काम करती हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि श्रीनारायण गुरु समझते थेकि सामाजिक बुराइयों में फंसे समाज का आध्यात्मिक उत्थान केवल उसके सामाजिक उत्थान से ही प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने कहाकि गांधीजी ने भी श्रीनारायण गुरु के प्रयासों से प्रेरणा और मार्गदर्शन प्राप्त किया। नरेंद्र मोदी ने कहाकि गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर जैसे विद्वानों को भी श्रीनारायण गुरु केसाथ विचार-विमर्श से लाभ हुआ। उन्होंने कहाकि श्रीनारायण गुरु ने महिला सशक्तिकरण के महत्व पर जोर दिया और हमारी सरकार भी महिला विकास के मंत्र केसाथ प्रगति की ओर बढ़ रही है। उन्होंने बतायाकि आजादी के दशकों बादभी भारत में कई ऐसे क्षेत्र थे, जहां महिलाओं के प्रवेश पर पूरी तरह से प्रतिबंध था, सरकार ने इन प्रतिबंधों को हटा दिया है, जिससे महिलाओं को नए क्षेत्रों में अधिकार प्राप्त करने में मदद मिली है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि खेल से अंतरिक्ष तक महिलाएं हर क्षेत्रमें देश को गौरवांवित कर रही हैं। उन्होंने कहाकि श्रीनारायण गुरु की शाश्वत दूरदर्शिता ‘शिक्षा के माध्यम से ज्ञान, संगठन के माध्यम से शक्ति और उद्योग के माध्यम से समृद्धि’ ने न केवल इन भावों को व्यक्त किया, बल्कि इसे साकार करने केलिए प्रमुख संस्थानों की नींव भी रखी। प्रधानमंत्री ने कहाकि यह शिवगिरी में ही थाकि गुरुजी ने देवी सरस्वती को समर्पित शारदा मठ की स्थापना की। उन्होंने कहाकि शिक्षा, संगठन और औद्योगिक प्रगति के माध्यम से समाज कल्याण की कल्पना देश की वर्तमान नीतियों और निर्णयों में स्पष्ट रूपसे परिलक्षित होती है। प्रधानमंत्री ने कहाकि श्रीनारायण गुरु ने एक मजबूत और सशक्त भारत की कल्पना की थी, जिसको साकार करने केलिए भारत को आर्थिक, सामाजिक और सैन्य क्षेत्रोंमें सबसे आगे रहना चाहिए। उन्होंने कहाकि देश, दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में तेजीसे बढ़ रहा है और हालही में ऑपरेशन सिंदूर ने वैश्विक मंच पर आतंकवाद के खिलाफ भारत की दृढ़ और अडिग नीति को स्पष्ट रूपसे प्रदर्शित किया है। उन्होंने दोहराया और स्पष्ट कहाकि भारतीय नागरिकों का खून बहाने वाले आतंकवादियों केलिए कोईभी पनाहगाह सुरक्षित नहीं है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि आजका भारत केवल राष्ट्रीय हित केलिए निर्णय लेता है। उन्होंने कहाकि सैन्य जरूरतों केलिए देश की विदेशी देशों पर निर्भरता लगातार कम हो रही है, भारत रक्षा क्षेत्रमें आत्मनिर्भर बन रहा है और ऑपरेशन सिंदूर के दौरान यह बदलाव स्पष्ट रूपसे देखा गया, जहां भारतीय सेना ने घरेलू स्तरपर निर्मित हथियारों का उपयोग करके 22 मिनट के भीतर दुश्मन को आत्मसमर्पण करने केलिए मजबूर कर दिया। उन्होंने विश्वास व्यक्त कियाकि आनेवाले समय में मेड इन इंडिया हथियारों को वैश्विक मान्यता और वाहवाही मिलेगी। इस बात पर जोर देते हुएकि राष्ट्र की आकांक्षाओं को पूरा करने केलिए श्रीनारायण गुरु की शिक्षाओं को प्रत्येक नागरिक तक पहुंचाना आवश्यक है, प्रधानमंत्री ने कहाकि सरकार इस दिशामें सक्रिय रूपसे काम कर रही है। उन्होंने कहाकि श्रीनारायण गुरु के जीवन से जुड़े तीर्थस्थलों को जोड़ने केलिए शिवगिरी सर्किट का विकास किया जा रहा है। नरेंद्र मोदी ने शिवगिरी मठ के संतों केप्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त की और शुभकामना कीकि श्रीनारायण गुरु का आशीर्वाद सभी पर बना रहे। शताब्दी कार्यक्रम में केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य और मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी राज्यमंत्री जॉर्ज कुरियन, श्रीनारायण धर्म संघम ट्रस्ट के पूज्य संत और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।