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Friday 1 August 2025 06:37:56 PM
धनबाद (झारखंड)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान धनबाद के 45वें दीक्षांत समारोह में उपाधि और पदकों से नवाजे गए स्नातकों और डॉक्टर ऑफ साइंस (मानद उपाधि) से सम्मानित डॉक्टर पीके मिश्रा को हार्दिक बधाई दी। राष्ट्रपति ने स्नातकों को संबोधित करते हुए कहाकि दीक्षांत समारोह उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण अवसर है, उनकी अनेक वर्षों की मेहनत, संघर्ष और उपलब्धियों का सम्मान किया जा रहा है। राष्ट्रपति ने कहाकि दीक्षांत समारोह जीवन के एक नए अध्याय की शुरुआत का प्रतीक भी है, यह दिन विद्यार्थियों केलिए अपने माता-पिता, शिक्षकों और उनसब लोगों का आभार प्रकट करने का है, जिन्होंने जीवन के हर मोड़ पर उनका साथ दिया और मार्गदर्शन किया। उन्होंने कहाकि वे अपने जीवन की एक नई यात्रा की शुरुआत करने जा रहे हैं, यह यात्रा नौकरी, उच्चशिक्षा, नवाचार या उद्यमिता किसीभी दिशा में हो सकती है और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान धनबाद एक विश्वस्तरीय संस्थान से शिक्षा प्राप्त करके वे अपने ज्ञान और कौशल का उपयोग दुनिया में सकारात्मक बदलाव लाने केलिए कर सकते हैं।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहाकि आईआईटी-आईएसएम धनबाद भारत के शैक्षणिक और तकनीकी इतिहास में एक विशिष्ट स्थान रखता है, इसकी लगभग 100 वर्ष की गौरवशाली विरासत है, खनन और भूविज्ञान के क्षेत्रमें प्रशिक्षित विशेषज्ञ तैयार करना इसकी स्थापना का उद्देश्य था और समय केसाथ संस्थान ने अपने शैक्षणिक दायरे को व्यापक बनाया है, अब यह विभिन्न क्षेत्रोंमें उच्चशिक्षा और अनुसंधान का एक अग्रणी केंद्र है। राष्ट्रपति ने कहाकि आईआईटी-आईएसएम ने प्रौद्योगिकीय विकास और नवोन्मेषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने प्रसन्नता जताईकि आईआईटी धनबाद ने एक ऐसा इकोसिस्टम विकसित किया है, जहां शिक्षा और नवोन्मेषण का उद्देश्य लोगों की आवश्यकताओं और आकांक्षाओं के अनुरूप है। उन्होंने कहाकि उत्कृष्ट इंजीनियरों और शोधकर्ताओं को तैयार करने के अतिरिक्त संस्थान का उद्देश्य संवेदनशील, उद्देश्यपूर्ण और सहानुभूतिशील पेशेवर भी तैयार करना है। राष्ट्रपति ने कहाकि हमारे देश का भविष्य आईआईटी-आईएसएम जैसे संस्थानों की प्रतिबद्धता से आकार ले रहा है, जो अत्याधुनिक अनुसंधान और नवोन्मेषण को बढ़ावा देकर प्रतिभाशाली युवाओं का मार्गदर्शन कर रहे हैं।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहाकि देश और विश्व जलवायु परिवर्तन और संसाधनों की कमी से लेकर डिजिटल व्यवधान और सामाजिक असमानता तक कई जटिल और तेज़ीसे बदलती चुनौतियों का सामना कर रहा है, ऐसी स्थिति में आईआईटी-आईएसएम जैसे शैक्षणिक संस्थान का मार्गदर्शन औरभी महत्वपूर्ण हो जाता है। उन्होंने आईआईटी-आईएसएम से नए और स्थायी समाधान खोजने में अग्रणी भूमिका निभाने का आग्रह किया। राष्ट्रपति ने कहाकि भारत की सबसे बड़ी शक्ति उसका विशाल मानव संसाधन है, तकनीकी शिक्षा और डिजिटल कौशल का प्रसार भारत को एक प्रौद्योगिकीय महाशक्ति बनने की ओर अग्रसर कर रहा है। उन्होंने कहाकि भारत की शिक्षा प्रणाली को अधिक व्यावहारिक, नवोन्मेषण केंद्रित और उद्योग अनुकूल बनाने से देश के युवाओं की प्रतिभा को सही दिशा मिलेगी और वे वैश्विकस्तर पर तेजीसे आगे बढ़ेंगे। उन्होंने कहाकि वैश्विक प्रतिस्पर्धा करने केलिए अनुसंधान एवं विकास तथा स्टार्टअप को बढ़ावा देने केसाथ पेटेंट संस्कृति को प्रोत्साहित करने की जरूरत है, छात्रों में समग्र सोच विकसित करने और जटिल समस्याओं के रचनात्मक समाधान खोजने केलिए शिक्षा में अंतःविषयक दृष्टिकोण अपनाना भी अत्यंत आवश्यक है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को यह जानकर प्रसन्नता हुईकि आईआईटी-आईएसएम धनबाद में जनजातीय विकास केलिए उत्कृष्टता केंद्र कार्यरत हैं और जो एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय में डिजिटल साक्षरता, कौशल विकास और रोज़गार केंद्रित प्रशिक्षण के माध्यम से झारखंड के जनजातीय युवाओं को सशक्त बनाने का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहाकि आईआईटी-आईएसएम फाउंडेशन कौशल विकास कार्यक्रमों से वंचित वर्गों की महिलाओं को सशक्त बनने का प्रयास कर रहा है, इसका उद्देश्य उनकी आर्थिक और सामाजिक स्थिति में सुधार करना है। उन्होंने छात्रों को सलाह दीकि वे अपने ज्ञान को केवल व्यक्तिगत उन्नति तक सीमित न रखें, बल्कि इसे जनकल्याण का माध्यम बनाएं। उन्होंने छात्रों से आग्रह कियाकि वे अपने ज्ञान का उपयोग एक अधिक सशक्त और न्यायपूर्ण भारत के निर्माण में करें, जहां प्रगति के अवसर सभी केलिए उपलब्ध हों। उन्होंने छात्रों से कहाकि वे अपने ज्ञान का उपयोग एक हरित भारत के निर्माण में करें, जहां विकास प्रकृति की कीमत पर नहीं, बल्कि उसके साथ सामंजस्य से हो। उन्होंने कहाकि भविष्य में वे जो भी करें, उसमें उनकी बुद्धिमत्ता केसाथ उनकी सहानुभूति, उत्कृष्टता और नैतिकता भी झलकनी चाहिए, केवल नवोन्मेषण ही नहीं, बल्कि करुणा से प्रेरित नवोन्मेषण विश्व को बेहतर बनाता है।